दुर्लभ पांडुलिपियों के मुद्रण में करोड़ों का गबन, दो अभियुक्त हुए गिरफ्तार

 
वाराणसी। डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दुर्लभ पांडुलिपियों के मुद्रण में करोड़ों रुपए के हुए गबन के मामले में दो अभियुक्तों को EWO (आर्थिक अपराध शाखा) ने कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को सिगरा क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया। दरअसल वर्ष 2001 और 2010 के बीच दुर्लभ पांडुलिपियों के मुद्रण में करोड़ों रुपए के गबन का मामला सामने आया था। वर्ष 2010 में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से मामले में शिकायत की गई थी। शिकायत मिलने पर चेतगंज थाने में इस का मुकदमा दर्ज किया गया था और जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से आरोप था कि इस गबन में मुद्रा को से तत्कालीन प्रकाशन निदेशक ने सांठगांठ करके करीब 5.90 करोड़ रुपए की शासकीय धन का फर्जी तरह से भुगतान करवाया गया है।
मामले की जांच कर रही वाराणसी आर्थिक अपराध शाखा के निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि डॉक्टर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वित्तीय वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2010 के बीच दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ-साथ ग्रंथों के मुद्रण और प्रकाशन हेतु अनुदान की धनराशि को आवंटित किया गया था। इस मामले में शिकायत मिली थी कि आवंटित धनराशि करीब 10 करोड़ 20 लाख 22 हजार में अनियमितता मिली है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तत्कालीन प्रकाशन संस्थान निदेशक पर आरोप लगे थे।
आरोप के अनुसार प्रकाशन विभाग के द्वारा मात्र 3.67 करोड़ रुपए का वैध मुद्रण कराया गया और 5.90 करोड़ रुपए विभिन्न प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों को साजिश के तहत मुद्रण करवाए बिना ही भुगतान कर दिया गया। शिकायत मिलने के बाद वर्ष 2010 में शासन ने इसकी जांच सौंपा था। जांच में लगे आरोप काफी हद तक सही पाए गए हैं।मामले में चेतगंज थाने में प्रो.दिवाकर त्रिपाठी शारदा प्रिंटिंग प्रेस और प्रो.रवि प्रकाश पंड्या तारा प्रिंटिंग प्रेस पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। शुक्रवार को सिगरा थाना क्षेत्र के सिद्धगिरीबाग से ईओडब्ल्यू टीम के द्वारा अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।