गंगा का जलस्तर बढ़ने से काशी के घाट जलमग्न, बाढ़ से जन-जीवन अस्त व्यस्त, राहत शिविरों की शरण लेने लगे बाढ़ पीड़ित
यह छठी बार है जब गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ा है, जिससे लोगों की परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं। हर बार जलस्तर घटने पर लोग घाटों पर जमा हुई सिल्ट हटाने का काम शुरू कर देते हैं, लेकिन इस बार गंगा का पानी इतना तेजी से बढ़ा है कि फिर से घाटों पर सिल्ट जम गया है।
शनिवार को गंगा के जलस्तर में सबसे तेज वृद्धि
पिछले छह बार की तुलना में इस बार गंगा का जलस्तर सबसे तेज गति से बढ़ा है। शनिवार को जलस्तर में 18 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से वृद्धि दर्ज की गई, जो अब तक की सबसे तेज गति है। रविवार की सुबह जलस्तर चेतावनी बिंदु के करीब पहुंच गया। काशी के दशाश्वमेध, अस्सी, मणिकर्णिका और नमो घाट जैसे प्रमुख घाट जलमग्न हो चुके हैं, और पानी धीरे-धीरे रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, रविवार सुबह गंगा का जलस्तर 70.13 मीटर था, जबकि चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर है। जलस्तर अभी भी काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे जलस्तर चेतावनी बिंदु के पार हो गया है।
वरुणा और गंगा के घाट डूबे, बाढ़ का खतरा
गंगा का जलस्तर बढ़ने से घाटों के साथ-साथ तटवर्ती मंदिर भी जलमग्न हो गए हैं। गंगा किनारे स्थित सभी 84 घाट पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं, जिससे तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। लोग अपनी दुकानें और चौकियां हटाने लगे हैं, और चिंता बढ़ती जा रही है।
प्रशासन अलर्ट, एनडीआरएफ और जल पुलिस की निगरानी
गंगा और वरुणा के जलस्तर में हो रही वृद्धि को देखते हुए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। वरुणा नदी में पलट प्रवाह शुरू हो गया है, जिससे तटवर्ती इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन रही है। जलस्तर पर केंद्रीय जल आयोग, जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीम लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन ने बाढ़ चौकियों की स्थापना कर दी है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की जा रही है।
गलियों और छतों पर शवदाह की व्यवस्था
गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शवदाह की प्रक्रिया ऊंचे स्थानों पर स्थानांतरित कर दी गई है। हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह गलियों में हो रहा है, जबकि मणिकर्णिका घाट पर छतों पर शवदाह किया जा रहा है। इससे लोगों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।