रंगोत्सव में डा. सोमा घोष ने सुरों के जादू से किया मंत्रमुग्ध, काशी, मथुरा व अवध के सांस्कृतिक रंगों को किया गहरा
वाराणसी। सुंदरपुर स्थित धीरेन्द्र महिला पीजी कॉलेज में सुरलय, ताल की विधारा में छात्राओं के मनोहारी लोक गीत और नृत्य नाटिका के बीच रंगोत्सव का आयोजन किया गया। मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इस दौरान पद्मश्री से अलंकृत बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका सोमा घोष ने होली गीत प्रस्तुत कर सुरों के रंगों से सभी को सरोबार कर दिया। उनके एक से बढ़कर एक नायाब प्रस्तुतियों में काशी, मथुरा और अवध के सास्कृतिक रंगों को और भी गहरा कर दिया।
डॉ. घोष ने होली के पारम्परिक गीत जो हर भारतीय के जेहन में रखा बसा है, उसे सुरों में डालकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। होली गीत शिव, कृष्ण और राम के लोकरंजक स्वरूप को स्पष्ट करता है, इसी परम्परा और संस्कृति को सजोये रखने का माध्यम लोकगीत होता है, जिसकी अनुभुति कार्यक्रम में प्रत्यक्ष से रूप से देखने को मिली। कभी न भुलाए जाने वाले गीत जिसमें 'खेले मसाने में होली, रंग डालूंगी नन्द के लालन पर होली खेले रघुवीरा, रंगी सारी गुलाबी चुनरिया जैसे कर्णप्रिय गीत लोगों को अंत तक बांधे रखा। इस अवसर पर छात्राओं ने फिल्मी गीतों के फ्यूजन पर आधारित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की जो काफी आकर्षक रहा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार में पंजीयन एवं स्टाम्प शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि पर्व समाज को एकजुट होने का संदेश देते है। एक ऐसे समाज के स्वरूप को स्पष्ट कराते है जहां लोगों के बीच आपसी मतभेद न हो तथा सद्भावना का विकास हो। साथ ही यह पर्व धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के स्वरूप को मजबूत कर सामाजिक समरसता को बढ़ाता है। पर्व सांस्कृतिक परम्पराओं के संचरण का प्रतीक होता है। संस्था की चेयरपर्सन अंजू जायसवाल ने रगों को उल्लास और नयी ऊर्जा का प्रतीक बताया। प्राचार्या डॉ नलिनी मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. प्रतिक्षा सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. राममोहन पाठक, प्रो. आरएस जायसवाल तथा संस्था के समस्त शिक्षक/शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही।