साइबर सिक्योरिटी को लेकर डीजीपी और वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने दिये अहम टिप्स- लोभ, लापरवाही, लत और भय को बताया साइबर ठगी का सबसे बड़ा कारण

वाराणसी। कमिश्नरेट वाराणसी की यातायात लाइन सभागार में बुधवार को साइबर सुरक्षा जागरूकता एवं मिशन शक्ति कार्यशालाका आयोजन हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने वर्चुअल माध्यम से सभी प्रतिभागियों को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवालने की। इस कार्यशाला में वरिष्ठ अधिकारी, साइबर विशेषज्ञ, अध्यापक, छात्र-छात्राएँ और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।
 

वाराणसी। कमिश्नरेट वाराणसी की यातायात लाइन सभागार में बुधवार को साइबर सुरक्षा जागरूकता एवं मिशन शक्ति कार्यशाला का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने वर्चुअल माध्यम से सभी प्रतिभागियों को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने की। इस कार्यशाला में वरिष्ठ अधिकारी, साइबर विशेषज्ञ, अध्यापक, छात्र-छात्राएँ और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।

डीजीपी का संबोधन: डिजिटल नशा, लापरवाही और लालच—साइबर अपराध के मुख्य कारण

डीजीपी ने कहा कि कोविड के बाद भारत में डिजिटल उपयोग कई गुना बढ़ा और सस्ते डेटा के कारण इंटरनेट का उपयोग विकसित देशों से 70 गुना अधिक हो गया है। उन्होंने सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग को “डिजिटल नशा” बताते हुए कहा कि यह अफ़ीम और कोकीन जैसी लत पैदा कर रहा है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव युवाओं पर दिख रहा है।

उन्होंने साइबर ठगी के चार प्रमुख कारण बताए—

  1. लोभ या लालच

  2. लापरवाही

  3. लत

  4. मनोवैज्ञानिक भय (डिजिटल अरेस्ट)

डीजीपी ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर होने वाली ठगी तेजी से बढ़ रही है। पुलिस, CBI, NCB या किसी सरकारी अधिकारी द्वारा वीडियो कॉल पर किसी को गिरफ़्तार करने की कोई प्रक्रिया कानून में नहीं है।

साइबर हेल्पलाइन 1930—गोल्डन आवर में मदद

उन्होंने बताया कि साइबर अपराध होने के तुरंत बाद ‘गोल्डन आवर’ के भीतर 1930 पर फोन करने से फ्रॉड ट्रांजेक्शन को फ्रीज करके धनराशि को बचाया जा सकता है।
प्रदेश में पिछले तीन महीनों में 130 करोड़ रुपये साइबर फ्रॉड से बचाए गए हैं।

प्रदेश के सभी 75 जिलों में साइबर थाने, और 1576 थानों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं।

डीजीपी ने उपस्थित लोगों से अपील की कि हर सहभागी कम से कम 100 लोगों को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक करे, ताकि साइबर अपराध के खिलाफ समाज की सामूहिक सुरक्षा मजबूत की जा सके।

पुलिस आयुक्त वाराणसी का संबोधन: 75 साइबर अपराधी जेल भेजे, 1400 मोबाइल नंबर ब्लॉक

पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने बताया कि—

  • वाराणसी पुलिस ने 5 फर्जी कॉल सेंटरों पर कार्रवाई कर 75 साइबर अपराधियों को जेल भेजा

  • 1400 संदिग्ध मोबाइल नंबरों को ब्लॉक कराया गया।

  • धोखाधड़ी का शिकार हुए नागरिकों को 7.5 करोड़ रुपये वापस कराए गए

  • फर्जी सिम कार्ड बेचने वाले 8 लोगों पर कार्रवाई कर जेल भेजा गया

  • कमिश्नरेट वाराणसी में 600 से अधिक साइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

  • साइबर अपराध से बचाव के लिए 50,000 साइबर ज्ञान पुस्तिकाएँ सरल भाषा में जनता तक पहुंचाई गईं।

उन्होंने कहा कि साइबर अपराध से बचने का सबसे प्रभावी साधन—जागरूकता—है।

साइबर विशेषज्ञ डॉ. रक्षित टंडन का तकनीकी सत्र—डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन फ्रॉड से बचाव पर विस्तृत प्रशिक्षण

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रक्षित टंडन ने व्यावहारिक और सरल ढंग से साइबर सुरक्षा के प्रमुख पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया—

  • डिजिटल अरेस्ट, डेटा चोरी, सोशल इंजीनियरिंग और ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के उपाय

  • व्हाट्सएप व सोशल मीडिया पर सतर्क रहने एवं पासवर्ड प्रबंधन के तरीके

  • सुरक्षित वित्तीय लेन-देन की तकनीक

  • संदिग्ध लिंक/फाइल की जांच हेतु VirusTotal.com का उपयोग

  • APK फाइल डाउनलोड करने से बचने और मोबाइल सॉफ्टवेयर को अपडेट रखने की सलाह

  • सोशल मीडिया अकाउंट सुरक्षित रखने के लिए मल्टीफैक्टर ऑथेंटिकेशन अनिवार्य किया जाए

उन्होंने बच्चों और युवाओं को चेताया कि—
“इंटरनेट पर दिया गया कोई भी डेटा कभी डिलीट नहीं होता। अपना निजी डेटा किसी के साथ साझा न करें।”

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति

कार्यशाला में निम्न अधिकारी मौजूद रहे—

  • अपर पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था शिवहरी मीणा

  • पुलिस उपायुक्त अपराध सरवणन टी.

  • अपर पुलिस उपायुक्त साइबर क्राइम नीतू

  • सहायक पुलिस आयुक्त साइबर क्राइम विदुष सक्सेना

  • मीडिया प्रतिनिधि, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएँ और स्थानीय नागरिक

पुलिस आयुक्त वाराणसी ने कहा कि साइबर अपराध से लड़ाई समाज और पुलिस की साझेदारी से ही जीती जा सकती है। जागरूकता ही सबसे बड़ी ढाल है।