लोलार्क कुंड पर उमड़ता है आस्था का जनसैलाब, संतान प्राप्ति के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु
वाराणसी। काशी में लोलार्क छठ के अवसर पर लोलार्क कुण्ड का एलग ही महत्व है। मान्यता है कि लोलार्क कुण्ड में जो भी दंपत्ति स्नान करते है उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर दूर-दूर से लाखों की संख्या में महिला और पुरुष संतान आदि की कामना से लोलार्क कुण्ड पहुंचते हैं ताकि उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सके।
दरअसल वंश वृद्धि की कामना को लेकर भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर वाराणसी में लोलार्क छठ का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर शहर के भदैनी क्षेत्र स्थित पौराणिक लोलार्क कुण्ड में देश के कोने- कोने से लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। मानयता है कि कुण्ड में स्नान करने और लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतान की प्राप्ति और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
स्नान को लेकर तैयारी हो गई है प्रारंभ- मान्यता है कि लोलार्क कुंड में दर्शन के बाद लोलार्केश्वर महादेव का दर्शन किया जाता है। यहां पर कुंड काफी गहरा है जहां पर दंपत्ति साथ में स्नान करते हैं उसके बाद सीढ़ियों के द्वारा बाबा लोलार्केश्वर महादेव के पास पहुंचते हैं, जहां पर इन्हें संकल्प दिलाया जाता है। संकल्प होने के बाद इन्हें वहीं से वापस भेज दिया जाता है। जिसको लेकर तैयारियां प्रारंभ हो गई है। मंदिर प्रशासन के लोग और जिला प्रशासन के लोग तैयारियों में लग गए हैं। जिस गली से लोग पहुंचते हैं, वहां पर पत्थर बिछाया गया है। जिसको ठीक करने का कार्य मजदूर लोग प्रारंभ कर दिए हैं। गली को दुरुस्त किया जा रहा है ताकि किसी भी श्रद्धालु को समस्या न हो।
पिछली बार जिला प्रशासन द्वारा जो श्रद्धालु लोलार्क कुंड में स्नान करने आ रहे थे। उन्हें सिर्फ स्नान के बाद वापस सीढ़ी से पीछे की तरफ भेज दिया जा रहा था, जिसके कारण श्रद्धालु लोग लोलार्केश्वर महादेव के दर्शन नहीं कर पा रहे थे। इस कारण श्रद्धालु निराश होकर वापस लौट रहे थे। जबकि मान्यता है कि स्नान के बाद बाबा का दर्शन करना अनिवार्य होता है, तभी बच्चे प्राप्त करने की मनोकामना फलीभूत होती है। जबकि जिला प्रशासन संख्या अधिक होने का हवाला देकर श्रद्धालुओं को दर्शन करने से रोक दे रही थी।
मंदिर प्रशासन से जुड़े हुए लोगों का कहना है कि पिछली बार जिस प्रकार से श्रद्धालुओं को निराशा हाथ लगी थी। उसको लेकर इस बार हम लोग जिला प्रशासन से गुहार लगाएंगे की दर्शन के बाद श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन हो पाए, ताकि उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सके। जिसको लेकर हम लोग अभी से जिला प्रशासन को ज्ञापन दे रहे हैं तथा उनसे वार्ता भी कर रहे हैं। पिछली बार हुई घटना से भी जिला प्रशासन को अवगत करा रहे हैं।
लोलार्क कुंड के प्रधान पुजारी रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि यह कुंड आदि अनंत काल से है यहां बाबा स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर एक बार कूज बिहार के राजा आए, जिन्हें कुष्ठठरोग था और यहां के जल से उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। उसके बाद उन्होंने यहां पर पूरी तरीके से मंदिर तैयार कराया। संतान की कामना से ही यहां श्रद्धालु देश के कोने-कोने से खीचें चले आते है। वाराणसी के लोलर्क कुंड में सूर्य अस्त होने तक श्रद्धालु इसी तरह स्नान करते है ओर अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान भास्कर से आराधना करते है पर यहां लोलार्क कुंड तक जाना भी आसान नहीं है लगभग सौ सीढ़ियों से नीचे उतर कर दंपती यहां स्नान करते है।
ऐसे बहुत सारे दंपत्ति हैं जिन्हें यहां पर आकर स्नान करने के बाद संतान की प्राप्ति हुई है। वह अपने संतान को लेकर यहां पर ईश्वर का धन्यवाद करने और मुंडन और पूजन करने भी पहुंचते हैं क्योंकि मान्यता है कि जिन्हें संतान प्राप्त हो जाती है। उन्हें फिर से एक बार आकर यहां स्नान करना होता है। पूरे साल श्रद्धालुओं की यहां पर भीड़ लगी रहती है।
लोलार्क श्रष्टि के दिन वाराणसी के लोलार्क कुंड के अलावा बाबा कीनाराम स्थल में क्रीम कुंड में भी स्नान होता है और यहां भी मान्यता है कि जो भी मनोकामना के साथ स्नान करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है और यहां भी दंपत्ति अपने संतान की प्राप्ति को लेकर के स्नान करते हैं और उन्हें संतान की प्राप्ति भी होती है।