ज्ञानवापी के लार्ड विश्वेश्वर 1991 मामले में 28 फरवरी को होगा कोर्ट का आदेश, अदालत में दिया गया श्री राम मंदिर का हवाला
इस मुद्दे पर काशी विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी का कहना था कि यह रि-प्रजेन्टेटिव वाद है। इसमें कोई जरूरी नहीं है कि वादी के मृत्यु होने पर उनके वारिस को पक्षकार बनाया जाय। इसमें अधिवक्ता भी मुकदमा लड़ सकता है। इस आवेदन के समर्थन में सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन व अन्य अधिवक्ताओं ने भी कोर्ट में अपना पक्ष रखा। कहा कि यह इंडिविजुवल वाद है। तीन लोगो ने यह वाद दाखिल किया था। ऐसे में मृतक वादी के वारिसान भी पक्षकार बन सकते हैं।
अदालत में श्री राम मंदिर मामले का हवाला भी दिया गया। अदालत ने इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद आदेश में पत्रावली सुरक्षित कर ली। अब इस मामले में आदेश के लिए कोर्ट ने 28 फरवरी की तारीख निर्धारित कर दी। इसके साथ ही विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से एक और आवेदन दिया गया था, जिसमे पत्रांवली में हरिहर पाण्डेय को पत्रावली में उनके सामने मृतक लिखे जाने का अनुरोध किया गया था। इस पर अंजुमन इंतजामिया और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने इस पर भी आदेश करने के लिए पत्रांवली सुरक्षित रखने के साथ वाद के सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तिथि नियत कर दी।