बीएचयू में पीएचडी दाखिले को लेकर विवाद, वीसी कार्यालय गए छात्र गेट के अंदर हुए बंद, जमकर की नारेबाजी, लगाए आरोप
वाराणसी। बीएचयू के हिन्दी विभाग में पीएचडी दाखिले को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं और विश्वविद्यालय के छात्र कुलपति कार्यालय पहुंचे। इस दौरान प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम ने सेंट्रल ऑफिस के सभी गेटों को बंद कर दिया, जिससे 5-6 छात्र अंदर फंस गए और बाहर नहीं निकल सके।मुख्य गेट पर जमा दर्जनों छात्रों ने गेट बंद किए जाने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
अंदर फंसे छात्रों ने आरोप लगाया कि कार्यवाहक कुलपति के आदेश पर उन्हें जबरन बंधक बना लिया गया है। वायरल हुए एक वीडियो में छात्र प्रॉक्टोरियल टीम से गेट खोलने के लिए चाबी मांगते नजर आ रहे हैं। छात्रों का कहना है कि न केवल वे, बल्कि कर्मचारी और अन्य छात्र भी अंदर फंस गए थे। विवाद की जड़ हिन्दी विभाग में दाखिले को लेकर उठे सवाल हैं। छात्रों का आरोप है कि विभाग ने 28 मार्च को स्वीकार किया था कि एक छात्रा का ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र गलत तरीके से सत्यापित हुआ था और उसे सामान्य श्रेणी का माना जाना चाहिए था। इसके बाद 18 अप्रैल को विश्वविद्यालय की एडमिशन कमेटी (UACB) ने भी माना कि ईडब्ल्यूएस और जाति प्रमाण पत्र हेतु अंडरटेकिंग (undertaking) लेने का कोई प्रावधान नहीं है और भास्कर आदित्य त्रिपाठी का नियमतः प्रवेश होना चाहिए था।
छात्रों का आरोप है कि शिक्षकों और बाहरी संगठनों की मिलीभगत के कारण इस निर्णय को पलट दिया गया। भास्कर आदित्य त्रिपाठी ने हिन्दी विभाग के एक प्रोफेसर पर आरोप लगाया। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पूरे मामले की पत्रावली और नियमों से संबंधित दस्तावेज न उपलब्ध कराने का भी आरोप लगाया गया। कुलपति आवास के बाहर भी छात्रों ने धरना दिया। भास्कर आदित्य त्रिपाठी ने कहा कि आवेदन भरते समय ही ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के एक शिक्षक ने 1 अप्रैल को एक छात्रा से एप्लिकेशन लिखवाकर बैक डेट में ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र स्वीकृत कराया और अवैध तरीके से दाखिला दिलाने की कोशिश की।