BHU में पीएचडी दाखिले को लेकर फिर बवाल: छात्रा का धरना जारी, करणी सेना और ABVP आमने-सामने

 
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। हिन्दी विभाग की छात्रा अर्चिता सिंह ने प्रवेश में अनियमितता का आरोप लगाते हुए गुरुवार से केंद्रीय कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया है। अब इस मुद्दे को लेकर विश्वविद्यालय में तनाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि अर्चिता को करणी सेना का समर्थन मिल चुका है, जबकि दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े छात्र भाष्करादित्य त्रिपाठी भी वीसी आवास के बाहर प्रदर्शन पर बैठ गए हैं।

छात्रा अर्चिता का आरोप है कि उसने पीएचडी की काउंसिलिंग तिथि पर उपस्थित होकर अपने सभी दस्तावेज जमा किए थे, लेकिन उसका प्रवेश प्रतीक्षा सूची में प्रथम स्थान पर होने के बावजूद नहीं लिया गया। विवाद की जड़ उसका आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का प्रमाणपत्र है। अर्चिता के अनुसार, उसका पिछला प्रमाणपत्र पुराना था, जिसके लिए उसने विभाग को शपथपत्र देकर समय मांगा और 29 मार्च को नया प्रमाणपत्र विभाग को ईमेल और हार्डकॉपी के रूप में सौंप भी दिया। इसके बावजूद विभाग ने उसका प्रवेश नहीं स्वीकारा।

अर्चिता के समर्थन में करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी धरना स्थल पर पहुंचे और विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कुलपति से तीन बार संपर्क की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद विभागाध्यक्ष से संपर्क किया गया लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला। करणी सेना ने बीएचयू प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि यदि छात्रा को प्रवेश नहीं मिला तो संगठन बड़ा आंदोलन करेगा और प्रदेशभर से कार्यकर्ता बीएचयू पहुंचकर प्रदर्शन करेंगे।

विवाद बढ़ने पर विश्वविद्यालय के कार्यवाह कुलपति प्रो. संजय कुमार धरना स्थल पर पहुंचे और जमीन पर बैठकर छात्रा की बात सुनी। इससे पहले हिन्दी विभागाध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों ने भी छात्रा को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह देर रात तक अपने धरने पर डटी रही।

दूसरी ओर, एबीवीपी से जुड़े छात्र भाष्करादित्य त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए वीसी आवास के सामने धरना शुरू कर दिया है। उनके अनुसार, अर्चिता को 1 अप्रैल को विभाग के एक शिक्षक ने बुलाकर बैक डेट में एप्लीकेशन लिखवाकर उसका EWS प्रमाणपत्र स्वीकृत करवाने की कोशिश की, जिससे प्रक्रिया में अनियमितता उत्पन्न हुई। भाष्करादित्य का आरोप है कि यह प्रयास विभागीय मिलीभगत के तहत किया गया, ताकि नियमों को ताक पर रखकर किसी विशेष छात्रा को फायदा पहुंचाया जा सके।

उन्होंने कहा कि विभागीय गड़बड़ियों का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। जब कोई छात्र आवेदन करता है तो पहले ही उसके पास सभी वैध दस्तावेज होना चाहिए। उन्होंने विभागाध्यक्ष और विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर इस कथित अनैतिक प्रयास के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उनका यह भी कहना है कि इसी वजह से उनके स्वयं के प्रवेश में बाधा आई है और वह अपने हक के लिए धरने पर बैठे हैं।

भाष्करादित्य को समझाने के लिए डीन ऑफ स्टूडेंट्स और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जब तक प्रवेश नहीं होता, तब तक वह धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे।

उल्लेखनीय है कि बीएचयू में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर पहले भी कई बार विवाद खड़े हो चुके हैं। हाल ही में हुए आंदोलनों के कारण विश्वविद्यालय को शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के समक्ष स्पष्टीकरण देना पड़ा था। अब यह तीसरा बड़ा मामला है, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली और पारदर्शिता पर फिर से गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।