Chath pooja 2023 : काशी में छठ पूजन के लिए घाट पहुंची व्रती महिलाएं, डूबते हुए सूर्य को दिया जाएगा अर्ध्य 

 
वाराणसी। छठ पूजा में भगवान सूर्यदेव की अराधना की जाती है। छठ का त्योहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है। छठ की शुरुआत नहाय खाय से होती है। आज छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसका समय 05 बजकर 26 मिनट पर होगा। लोक आस्था का पर्व आज छठ पूजा का तीसरा और सबसे अहम दिन है। वाराणसी में गंगा-वरुणा के 100 से ज्यादा घाटों और हजारों तालाबों के किनारे 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु छठ पूजा करने के लिए उमड़ेंगे। काशी के हर घाट और कुंड पर लक्खा मेले जैसा उत्सव होगा। दोपहर बाद गंगा-वरुणा नदी के घाटों और कुंडों-पोखरों के किनारों पर बने वेदियों पर श्रद्धालु पहुंचे।
आज शाम डूबते हुए भगवान सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं घर पर जगराता करेंगी। छठ मईया के गीत-भजन कर रात निकालेंगी। अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले दोबारा घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचेंगे। दोपहर 2 बजे तक व्रती महिलाएं-पुरुष घाट पहुंचने लगे है। परिवार के बाकी सदस्य सिर पर फलों की डलिया और अर्घ्य का सूप उठाकर पहुंच रहे है। पदयात्रा के दौरान सूप के ऊपर एक दीया भी हमेशा जलता रहेगा, जिसे घाट पर वेदी तक पहुंचने से पहले बुझना नहीं चाहिए। बाकी लोग हाथ में गन्ना और पूजा के सामान, पटाखो आदि लेकर चलेंगे। वेदी को पूजने के बाद जब सूरज ढलने को होगा तो महिलाएं नदी या तालाब के जल में उतरेंगी।
महिलाओं का आधा शरीर पानी में होगा। अर्घ्य वाला सूप लेकर पानी में ही 5 बार परिक्रमा करेंगी। हर परिक्रमा पर सूप के ऊपर घर के सभी सदस्य बारी-बारी से दूध और जल से भगवान सूर्य का अभिषेक करेंगे।यहीं पर तीसरे दिन की पूजा समाप्त हो जाएगी। व्रती महिलाएं इस रात भी उपवास पर ही रहेंगी। जागरण और गीत-भजन में रात बीतेगी। आधी रात 2 से 3 बजे तक स्नान-ध्यान करेंगी। डलिया-सूप लेकर व्रती के साथ घर के बाकी लोग वेदी की ओर जाएंगी।
कल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर दिया जाएगा। जहां पर अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया था। ठीक उसी जगह पर सभी डलिया, सूप और गन्ना लेकर भोर में इकट्ठा होंगे। यहां जैसे ही सूर्योदय होगा, ठीक शाम की तर्ज पर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सभी व्रती तथा श्रद्धालु घाट पर मौजूद आम और गरीबों को प्रसाद बांटेंगे। इसके बाद वापस घर आते समय रास्ते में पड़ने पीपल के पेड़, जिसे ब्रह्म बाबा कहते हैं, की पूजा करेंगे। पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत और थोड़ा प्रसाद लेकर व्रत का पारण करेंगी।
वाराणसी में छठ पूजा को लेकर गंगा-वरुणा और तालाबों-कुंड के घाट आज तैयार हैं। वाराणसी में बन रहे छठ मईया घाट से लेकर राजघाट तक व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है। दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, राजघाट, केदारघाट, सामने घाट, गाय घाट और भदैनी घाट पर भी लाखों की संख्या में वेदी बनकर तैयार है। साथ ही प्रशासन ने अस्थाई चेजिंग रूम्स और अतिरिक्त जल पुलिस को तैनात कर दिया है।इन घाटों पर ही 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आ जाते हैं। इसके साथ ही वरुणा नदी के शास्त्री घाट, फुलवरिया घाट, वहीं, तालाबों में बरेका तालाब, सूरजकुंड, ईश्वरगंगी पोखरा, मच्छोदरी, मैदागिन, रामकटोरा पोखरा आदि जगहों पर भी भारी मात्रा में श्रद्धालु सूरज भगवान को अर्घ्य देने के लिए जुटेंगे।
NDRF के बचाव कर्मियों को वाटर एम्बुलेंस, गोताखोर, पैरामेडिक्स, डीप डाइवर्स, डीप डाइविंग सूट, लाइफ जैकेट, ऑक्सीजन सिलेंडर और बाकी जरूरी रेस्क्यू डिवाइस दिए गए हैं। NDRF के बचाव कर्मियों को वाटर एम्बुलेंस, गोताखोर, पैरामेडिक्स, डीप डाइवर्स, डीप डाइविंग सूट, लाइफ जैकेट, ऑक्सीजन सिलेंडर और बाकी जरूरी रेस्क्यू डिवाइस दिए गए हैं। NDRF के 200 जवान, वाटर एंबुलेंस, मेडिकल टीम, गोताखोर भी तैयार है ।
नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की 6 टीम से कुल 200 से ज्यादा जवान और वाटर एंबुलेंस वाराणसी के घाटों और पोखरों पर तैनात कर दिए गए हैं। 11वीं बटालियन NDRF के बचाव कर्मियों को वाटर एम्बुलेंस, गोताखोर, पैरामेडिक्स, डीप डाइवर्स, डीप डाइविंग सूट, लाइफ जैकेट, ऑक्सीजन सिलेंडर और बाकी जरूरी रेस्क्यू डिवाइस दिए गए हैं। NDRF के बचावकर्मी रेस्क्यू मोटर बोट और वाटर एम्बुलेंस के साथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा लिए गंगा मे लगातार पेट्रोलिंग भी करते रहेंगे। सभी बोट पर MFR ( मेडिकल फर्स्ट ऐड ऐंड रिस्पांस ) के ट्रेंड जवान भी होंगे।