Chhath puja 2023 : छठ पूजा को लेकर तैयारी, सूप, डाला की जमकर हो रही खरीदारी

नहाय-खाय के साथ डाला छठ का पर्व शुक्रवार से शुरू हो गया है। इसकी तैयारी में लोग जोर-शोर से जुट गए हैं। छठ पूजा में सूप, डाला का विशेष महत्व होता है। ऐसे में सूप-दौरी की जमकर खरीदारी हो रही है। ऐसे में हमेशा वीरान रहने वाला सूप-दौरी का मार्केट भी चमक उठा है। दुकानदारों को इस बार अच्छे मुनाफे की उम्मीद है। 
 

वाराणसी। नहाय-खाय के साथ डाला छठ का पर्व शुक्रवार से शुरू हो गया है। इसकी तैयारी में लोग जोर-शोर से जुट गए हैं। छठ पूजा में सूप, डाला का विशेष महत्व होता है। ऐसे में सूप-दौरी की जमकर खरीदारी हो रही है। ऐसे में हमेशा वीरान रहने वाला सूप-दौरी का मार्केट भी चमक उठा है। दुकानदारों को इस बार अच्छे मुनाफे की उम्मीद है। 

शहर में सड़क व चट्टी-चौराहों के किनारे सूप-दौरी की बिक्री हो रही है। दुकानों पर खरीदार उमड़ रहे हैं। लोग पीतल व बांस के सूप खरीद रहे हैं। सूप में ही जल व प्रसाद लेकर व्रती महिलाएं पानी में खड़ा होंगी। वहीं सूप पर ही अर्घ्य दिया जाएगा। भगवान सूर्य की आकृति वाले पीतल के सूप लोगों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। सारनाथ की पूनम पांडेय ने कहा कि छठ पूजा पर नए सूप का इस्तेमाल होता है। लोग पीतल व बांस के सूप से छठ पूजा करते हैं। दोनों सूप का एक जैसा ही महत्व है। 

रामकुमारी ने कहा छठ पूजा में सूप से ही भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। हालांकि पीतल के सूप के साथ बांस का सूप लगाकर अर्घ्य दिया जाता है। बांस का सूप जरूरी है। कहा कि छठ पूजा से निःसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। वहीं अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। सृष्टि मिश्रा ने कहा कि छठ पूजा में सूप की बहुत मान्यता है। सूप भरकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसी मन्नत होती है कि जैसे सूप भरा रहता है, उसी तरह भगवान भी हमारे जीवन को भरा-पूरा रखें। 

कहा कि कोई मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग पीतल अतवा फूल के सूप से भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। रीता सिंह ने बताया कि पिछले 10 साल से छठ पूजा कर रही हैं। घर-परिवार के सुख-शांति के लिए पूजा करती हैं। छठ पूजा में सूप का बहुत महत्व है। इसलिए सूप खरीदा। नेहा मिश्रा ने कहा कि संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा कर रही हैं। सूप को भरकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। उनसे यही प्रार्थना करते हैं कि जिस तरह सूप भरा है, उसी तरह हमारा आंचल भी भरा रहे। 

दुकानदार संजय कसेरा ने बताया कि दीपावली से दो माह पहले से ही पीतल के सूप की डिमांड बढ़ जाती है। इसलिए चार-पांच माह पहले से ही स्टाक करना शुरू कर देते हैं। इसकी बिक्री दिवाली तक होती है। इसके बाद इक्का-दुक्का ग्राहक ही आते हैं। छठ पूजा के दौरान डिमांड इतनी अधिक हो जाती है कि उसे पूरा नहीं कर पाते हैं। बताया कि बनारस से पीतल का सूप बिहार, गाजीपुर समेत अन्य स्थानों पर जाता है। 

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