सदस्यता अभियान के जरिए संगठन में जान फूंकेगी भाजपा, जन प्रतिनिधियों की भी होगी अग्निपरीक्षा
- यूपी में सवा 3 करोड़ से ज्यादा सदस्य बनाने का लक्ष्य
- बूथ से लेकर प्रत्येक जनप्रतिनिधियों के लिए टारगेट फिक्स
वाराणसी। लोकसभा चुनाव बीतने के बाद अब भाजपा ने यूपी में होने वाले उप चुनाव के लिए कमर कस ली है। इसके लिए पार्टी वृहद स्तर पर सदस्यता अभियान की शुरुआत करने जा रही है। इसके लिए निचले स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
राजनीतिक गलियारों के जानकार बताते हैं कि पार्टी इस सदस्यता अभियान के जरिए संगठन को और अधिक मजबूत बनाने में जुट गयी है। इस अभियान के तहत पार्टी नए लोगों को जोड़ने का काम करेगी। इसके लिए बूथ स्तर से लेकर कार्यकर्ताओं व जन प्रतिनिधियों को टारगेट फिक्स किये गये हैं। वहीँ भाजपा ने प्रत्येक बूथ पर 200 लोगों को सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
जानकार यह भी बता रहे हैं कि सदस्यता अभियान के बहाने ही पार्टी जन प्रतिनिधियों व पदाधिकारियों का जनता से जुड़ाव भांपना चाहती है। पार्टी को लोकसभा चुनाव की समीक्षा में जो चीज़ें निकलकर सामने आई थीं, उसे लेकर शीर्ष नेतृत्व अलर्ट है। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही भाजपा शीर्ष नेतृत्व संगठन को धार देने में प्रयत्नशील है। फ़िलहाल उप चुनाव, इसके बाद ग्राम पंचायत और फिर यूपी में विधानसभा चुनाव, इसके लिए पार्टी में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व का कहना है कि जब तक जनप्रतिनिधयों का जब तक जनता से जुड़ाव नहीं होगा, तब तक संगठन का नया सदस्य बनाना मुमकिन नहीं होगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यूपी में भाजपा ने लगभग 3 करोड़ 36 लाख नए सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वजह, उत्तर प्रदेश में करीब 1.68 लाख बूथ है। हर बूथ पर भाजपा ने दो सौ नये सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सिर्फ सांसद और विधायक ही नहीं, बल्कि मेयर, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका व नगर पंचायत चेयरमैन और पार्षदों को भी सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। पार्टी का सर्वाधिक फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इस तरफ अधिक ध्यान देने का जनप्रतिनिधियों को निर्देश दिए गए हैं। इसकी मॉनिटरिंग लखनऊ से लेकर दिल्ली तक होगी।
इस अभियान के लिए दिग्गज नेताओं को देश के विभिन्न प्रांतों की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी है। खासकर उत्तर प्रदेश तो भाजपा के लिए खास महत्व रखता है। बीते दिनों सदस्यता अभियान को लेकर लखनऊ में हुई संगठन की बैठक में भाग लेने वाले पदाधिकारियों की माने तो हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में 20 हजार और हर विधायक को अपने विधानसभा क्षेत्र में 10 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है। खास बात यह कि सांसद और विधायक को पार्टी का नया सदस्य बनाने के लिए जनता के बीच रहने का निर्देश दिया गया है। कहा गया है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का फैसला है कि जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच सक्रिय रहते हुए यह काम करना है। वर्चुअल संवाद किसी कीमत पर नहीं चलेगी।
पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा ने उत्तर प्रदेश में करीब तीन करोड़ 36 लाख नये सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस अभियान को लेकर भाजपा पूरी तरह से गंभीर है और इसमें जरा सी लापरवाही भाजपा शीर्ष नेतृत्व को बर्दाश्त नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, एक सितम्बर से शुरू होने वाले सदस्यता अभियान के बहाने पार्टी जहां जनप्रतिनिधियों के दमखम को नापने की तैयारी में जुटी हुई है। वहीं, इस बात को भी देखना चाहती है कि किस जनप्रतिनिधि का जुड़ाव जनता के बीच अधिक है। यहीं वजह है कि जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच रहकर पार्टी का सदस्य बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में किसी जनप्रतिनिधि का कोई बहाना नहीं चलने वाला है। इतना ही नहीं, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इस नये टॉस्क से जनप्रतिनिधियों का कड़ा इम्तिहान भी होने वाला है। इसी अभियान से जनप्रतिनिधियों का दमखम मापने की तैयारी भी है।