लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम की तर्ज पर बनी है बीएचयू की लाइब्रेरी, लाखों किताबों का संग्रह, डिजिटल युग में भी किताब पढ़ने का जुनून
ओमकार नाथ
वाराणसी। सर्व विद्या की राजधानी कहे जानें वाली काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में रोजाना पांच हजार छात्र छात्राओं का समूह पढ़ने के लिए आता हैं। कहा जाता है कि इस लाइब्रेरी को लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम लाइब्रेरी की तर्ज पर तैयार किया गया है। पंडित मदन मोहन मालवीय की कल्पना से बनी यह सेंट्रल लाइब्रेरी करोड़ों छात्रों के भविष्य का निर्माण कर चुकी है। आने वाले युवाओं के लिए भी "मिल का पत्थर" साबित होगी।
डिजिटल दुनिया में युवाओं में दिखता है किताबें पढ़ने का जुनून
बीएचयू के इस सेंट्रल लाइब्रेरी में घुसते ही शांत वातावरण दिखता है। डिजिटल दुनिया में आज भी किताबें पढऩे का शौक रखने वालों की कमी नहीं है। खासकर युवाओं में किताबें पढ़ने का जुनून दिखता है। यहां के कर्मचारी बताते हैं कि कुछ छात्र तो ऐसी भी हैं जो घर जाना ही नहीं चाहते हैं वजह कि वो किताबों की दुनिया में खोए रहते हैं। एशिया में अपनी पहचान बना चुके इस लाइब्रेरी में आने वाले स्टूडेंट्स को वो सभी किताबें आसानी से मिल जाती है, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। छात्रों के लिए यह 21 घंटे तक खुली रहती है। इसमें ज्यादातर रिसर्च करने वाले स्टूडेंट्स की मौजूदगी रहती है।
लंदन के गोलमेज सम्मेलन के बाद पड़ी नींव
जानकार बताते हैं कि 1931 में जब बीएचयू के संस्थापक पं मदन मोहन मालवीय लंदन में आयोजित राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल होकर भारत लौटे, तब उन्होंने इस लाइब्रेरी के आलीशान गोलाकार सेंट्रल हॉल का निर्माण कराया, जो कि बर्मा टीक की लकड़ी से बनाया गया। इसके लिए बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उनकी आर्थिक मदद की थी और विश्वविद्यालय में इस आलीशान लाइब्रेरी का निर्माण कराया। शुरू में पुस्तकों का संग्रह दान स्वरूप में लिया। समय बीतते यहां कई शानदार पुस्तकों का संग्रह बन गया।
जानिये कैसे हुआ लाइब्रेरी का विकास
लाइब्रेरियन डीके सिंह ने बताया कि यह एकेडमिक लाइब्रेरी है। इस लाइब्रेरी का विश्व में एक अपना स्थान है। उन्होंने कहा कि पाठक की दृष्टि से और प्रलेखों की दृष्टि से या विश्व का सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। उन्होंने कहा कि हमारे पास 16 लाख पुस्तक हैं,1 लाख ई-बुक है,डेढ़ लाख वीडियो लेक्चर है और 10 हजार फुल टेक्स ऑनलाइन जनरल है।
रोजाना आते हैं पांच हजार विद्यार्थी
डीके सिंह ने बताया कि रोजाना 5 हजार से अधिक छात्र-छात्रा एवं अध्यापक इस लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि इसकी संख्या 10 हजार तक भी चली जाती है। यहां के स्टूडेंटस की किताबों से इतना ज्यादा लगाव है कि ये लोग लाइब्रेरी में जगह कम होने के कारण बाहर गार्डेन में और सीढिय़ों पर आकर किताबें पढ़ते हैं। यहां स्टूडेंट्स किताबें पाने के लिए इस तरह से लाइन लगाकर खड़े रहते हैं जैसे फ्री में कोई सामान मिल रहा हो।
बन रही एक और हाईटेक लाइब्रेरी
सेंट्रल लाइब्रेरी में स्टूडेंट्स की बढ़ती भीड़ को देखते हुए यहां इससे भी बड़ी एक और लाइब्रेरी बनवाई जा रही है। करीब 5 हजार स्क्वायर मीटर एरिया में 5 फ्लोर का बन रही है। यह लाइब्रेरी पूरी तरह से हाईटेक होगी। एयर कंडीशन होने के साथ इसमें बेहतरीन लाइटिंग व स्मार्ट चेयर और टेबल होंगे। इसमें करीब एक हजार स्टूडेंट्स के बैठने का अरेंजमेंट होगा।
दुर्लभ अभिलेख संरक्षित
बीएचयू की सेंट्रल लाइब्रेरी में 16 लाख से अधिक पुस्तकों का अनोखा खजाना मौजूद है। इसमें 14 से 16 वीं सदी की पांडुलिपियां,ताड़पत्र,18 वीं सदी के दुर्लभ अभिलेख के अलावा,गवर्नमेंट डॉक्यूमेंट और शोधपत्रों की लम्बी फेहरिस्त है। विश्वविद्यालय के वर्तमान सेंट्रल लाइब्रेरी के भवन का निर्माण 1941 में हुआ था।
छात्र बोले, लाइब्रेरी में है तमाम सुविधाएं
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एमएससी कर रहे दिव्यांग छात्र वैभव सिंह प्रतिदिन लाइब्रेरी में अपने कक्षाओं में शामिल होने के बाद पढ़ेने पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है,यहां पढ़ने का मेरा बहुत मन था और अब तो मैं यहां का छात्र हूं तो रोजाना यहां पढ़ने के लिए आ जाता हूं। यहां पर किताब पढ़ने के लिए एक बड़ा सा हाल है,कंप्यूटर पर पढ़ने के लिए एक अलग कमरा है और अगर आप रिसर्च का काम करना चाहते हैं तो उसके लिए भी एक अलग व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी में काफी शांति होती है और हर कोई पढ़ता हुआ नजर आता है।