BHU के महिला महाविद्यालय में त्योहार के रंग कारीगरों के संग कार्यक्रम का आयोजन
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय महिला महाविद्यालय में त्योहार के रंग कारीगरों के संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के तहत हस्तशील्प से निर्मित होने वाले सामानों का स्टाल लगाया गया।
इस दौरान महिला महाविद्यालय की छात्रा दीपिका रत्नेश ने कहा कि हमारे युवा, भारत का भविष्य हैं। इसलिए बेहतर भारत के लिए, हमें उन्हें समाज के प्रति, विभिन्न वर्ग के लोगों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा और उन्हें ऐसे अवसर भी देने होंगे, जिससे वे विभिन्न वर्ग के लोगों की कठिनाइयों को समझ सकें। राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें भारत सरकार के विभिन्न अभियानों में योगदान देने के लिए प्रेरित किया जाए।
प्रोफेसर रीता सिंह, प्रचार्या महिला महाविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय, ने बताया कि हम अपनी छात्राओं को समाज के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए उन्हें भारत सरकार की अपील के अनुसार विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। चूंकि, हमारी जीवनशैली में मॉल कल्चर हावी है, जो कारीगरों की बेहतरी के लिए अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि कारीगरों की मेहनत ऊंची कीमत पर बिकती है, लेकिन अधिकतम हिस्सा बिचौलिए और दुकान के मालिक को जाता है, भारत सरकार, स्थानीय वस्तुओं को बढ़ावा देने और हमारे कारीगरों की मदद करने के लिए विभिन्न अभियानों और योजनाओं के माध्यम से अपना प्रयास कर रही है। हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा, 3 नवंबर को ऐसा ही एक अभियान "पीपुल्स चॉइस" शुरू किया गया है।
प्रोफेसर नीलम श्रीवास्तव (छात्र सलाहकार, महिला महाविद्यालय) ने बताया कि भारत के प्रयासों को अपना समर्थन दिखाने के लिए महिला महाविद्यालय की छात्राएं नवंबर माह में 'त्योहार के रंग कलाकार के संग' विषय पर कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित कर रही हैं। इसमें चार मुख्य कार्यक्रमों 'नारा लेखन प्रतियोगिता' (विषय- स्थानीय के लिए मुखर बनें), 'कारीगर बाजार' (विषय- 'हमारे कलाकार हमारा अभिमान'), 3 मिनट की डॉक्यूमेंट्री मेकिंग प्रतियोगिता (विषय- 'आओ जाने अपने कलाकार') और नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता (विषय-'हमारे कारीगर हमारा अभिमान') के माध्यम से छात्राओं को हमारे स्थानीय कारीगरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी दिखाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
प्रोफेसर श्रीवास्तव ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे छात्राओं में राष्ट्र के प्रति प्रेम और साथ ही देशवासियों के प्रति सम्मान पैदा करने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे देश के अंतिम व्यक्ति में बदलाव लाने के लिए सरकार के अभियानों का समर्थन करने वाली गतिविधियों में शामिल हों। विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रस्तुत करने का भी मौका मिलता है तथा उनकी प्रबंधन कुशलता में निखार आता है। चार कार्यक्रमों की शृंखला में ‘कारीगर बाजार’ और ‘3 मिनट की डॉक्यूमेंट्री मेकिंग’ नामक दो आयोजन विशेष रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं। ‘3 मिनट की डॉक्यूमेंट्री’ बनाते समय उन्हें उन कारीगरों से मिलकर उनके काम को विस्तार से समझना होगा और फिर जनता से, इन कारीगरों से खरीदारी की अपील करनी होगी। यह लोगों के प्रति समझ बढ़ाने और इन कारीगरों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के उनके अनुभव को बढ़ाएगा, जो निश्चित रूप से हमारी युवा पीढ़ी को संवेदनशील बनाएगा।
तृतीय वर्ष की छात्राएं लिपिका, दीपशिखा, उपासना, अदिति और खुशी ने इस कार्यक्रम के आयोजन का बीड़ा उठाया है। उनकी कड़ी मेहनत ने, प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष की 115 छात्राओं को, 6 नवंबर को आयोजित होने वाली ‘नारा लेखन प्रतियोगिता’ में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। द्वितीय वर्ष की छात्राओं (दिव्यांशी जयसवाल, मिस्बा कौसर, सृष्टि गुप्ता, साक्षी सुल्तानिया, अपर्णा शर्मा, मानसी राजपूत, जूही गुप्ता, अमिता वर्मा और अदिति सिंह) ने ‘नारा लेखन प्रतियोगिता’ के अयोजन की जिम्मेदारी ली है। 9 अलग-अलग कारीगरों ने अपना स्टॉल लगाने पर सहमति जताई। इन स्टालों में ग्रामीण महिलाओं ( रुम्पा, आरती, माधवी, रेनू) द्वारा लाख से बनी चूड़ियां/कपड़े आधारित सजावटी सामान/सजावटी दीये, श्रीराम द्वारा लकड़ी का काम और बद्री सिंह के पत्थर के काम शामिल होंगे। विशेष आकर्षण 'सोनी पहाचां खास फाउंडेशन' के नेत्रहीन लोगों द्वारा मोमबत्तियां, दीये और नमकीन होंगे।
कार्यक्रम का उद्घाटन संत कबीर हथकरघा राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बुनकर शाहिद जुनैद करेंगे। ‘नारा लेखन प्रतियोगिता’ के विजेताओं की घोषणा जुनैद द्वारा किया जाएगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से हमें उम्मीद है कि यह कारीगरों और युवा छात्राओं के बीच एक नया संबंध बनाएगा और भविष्य में यह दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
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