BHU विश्वनाथ मंदिर 10 हजार दीपों से जगमगाया, बाबा के दरबार में हुई भव्य महाआरती, कैम्पस में गूंजा हर हर महादेव
वाराणसी। एक ओर जहां पूरी काशी बुधवार की रात दीपों की अविरल श्रृंखला से जगमगा रही थी, वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में भी देवदीपावली का पर्व पूरी श्रद्धा, भक्ति और भव्यता के साथ मनाया गया। सेवाज्ञ संस्थानम् द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जनसहयोग से आयोजित दिव्य दीपोत्सव एवं भव्य महाआरती ने पूरे परिसर को दिव्यता और आस्था की आभा से आलोकित कर दिया।
भक्ति और श्रद्धा के इस अनूठे आयोजन में करीब 10,000 दीपों को प्रज्वलित कर देवताओं की इस दिव्य रात को अद्भुत छटा से सजाया गया। जैसे-जैसे संध्या का अंधकार गहराता गया, वैसे-वैसे दीपों की लौ से प्रांगण जगमगाने लगा और वातावरण में “हर हर महादेव” के जयघोष गूंज उठे।
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। इसके पश्चात सेवाज्ञ संस्थानम् के स्वयंसेवकों और विश्वविद्यालय समुदाय के छात्रों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर देवदीपावली का आरंभ किया। परंपरागत विधि-विधान के साथ बटुकों द्वारा की गई महाआरती में श्रद्धालुओं ने दीप प्रवाह और पुष्पांजलि अर्पित कर भगवान विश्वनाथ से विश्वकल्याण की कामना की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. हरेंद्र कुमार राय (सदस्य, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग), माधव झा (राष्ट्रीय सचिव, सेवाज्ञ संस्थानम्) और प्रो. विनय पाण्डेय (व्यवस्थापक, विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू) उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और सेवाज्ञ संस्थानम् की इस आध्यात्मिक पहल की सराहना की।
मुख्य अतिथि डॉ. हरेंद्र कुमार राय ने अपने संबोधन में कहा — “काशी केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। देवदीपावली का यह आयोजन हमें यह स्मरण कराता है कि हर युग में प्रकाश और अंधकार का संग्राम चलता है, और अंततः प्रकाश ही विजयी होता है।”
राष्ट्रीय सचिव श्री माधव झा ने कहा कि सेवाज्ञ संस्थानम् समाज में सेवा, संस्कृति और श्रद्धा के समन्वय का कार्य कर रहा है। उन्होंने जनसहयोग से 10,000 दीपों के माध्यम से मनाए गए इस आयोजन को “लोकआस्था और संगठन शक्ति का प्रतीक” बताया।
विश्वनाथ मंदिर के व्यवस्थापक प्रो. विनय पाण्डेय ने कहा कि “देवदीपावली केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि काशी की आत्मा का उत्सव है। यहां हर दीप में भक्ति की ज्योति और हर आरती में श्रद्धा का स्वर गुंजायमान होता है।” उन्होंने इस आयोजन को युवाओं में परंपरा और सामाजिक एकता की भावना को सशक्त करने वाला बताया और सेवाज्ञ संस्थानम् के प्रयासों की प्रशंसा की।
कार्यक्रम के अंत में सेवाज्ञ संस्थानम् के संयोजक मंडल ने सभी अतिथियों, सहयोगियों एवं स्वयंसेवकों का आभार व्यक्त किया। भव्य दीपोत्सव के उपरांत भक्ति संगीत, गंगा स्तुति और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
इस पावन अवसर पर विश्वनाथ मंदिर प्रांगण हजारों दीपों की ज्योति से नहाया हुआ दिखा, मानो धरती पर देवताओं का अवतरण हो गया हो। श्रद्धालु, छात्र, शिक्षक और आगंतुक सभी ने इस दिव्य दृश्य का आनंद लेते हुए मंदिर परिसर को सचमुच “दीपों की नगरी” में परिवर्तित कर दिया।