अनोखा है बीएचयू में वाद्ययंत्रों का म्यूजियम, यहां रखा है दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा

महामना की बगिया कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दुनिया का सबसे अनोखा वाद्ययंत्रों का म्यूजियम है। खास बात यह है कि इस म्यूजियम में दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा रखा हुआ है, जिसकी लम्बाई आठ फीट है। बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय के पण्डित लालमणि मिश्र वाद्य संग्रहालय में इस तानपुरा को सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा म्यूजियम में नए और पुराने वाद्ययंत्रों का संग्रह है। कुछ वाद्य यंत्र ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल बजाने के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि उन्हें विद्यार्थियों को दिखाया जाता है, ताकि वे प्राचीनकाल से चली आ रही भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा से अवगत हो सकें। 
 

- आठ फीट लंबा है पीतल और मेटल से बना तानपुरा 
- म्यूजियम में उपलब्ध हैं सितार, विचित्र वीणा समेत अन्य वाद्य यंत्र
- सहेज कर रखे गए हैं पुराने और नए वाद्ययंत्र, विद्यार्थी लेते हैं सीख 

रिपोर्टर - ओमकारनाथ  

वाराणसी। महामना की बगिया कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दुनिया का सबसे अनोखा वाद्ययंत्रों का म्यूजियम है। खास बात यह है कि इस म्यूजियम में दुनिया का सबसे बड़ा तानपुरा रखा हुआ है, जिसकी लम्बाई आठ फीट है। बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय के पण्डित लालमणि मिश्र वाद्य संग्रहालय में इस तानपुरा को सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा म्यूजियम में नए और पुराने वाद्ययंत्रों का संग्रह है। कुछ वाद्य यंत्र ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल बजाने के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि उन्हें विद्यार्थियों को दिखाया जाता है, ताकि वे प्राचीनकाल से चली आ रही भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा से अवगत हो सकें। 

वाद्य विभाग के विभागाध्यक्ष वीरेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि इस तानपुरा की लंबाई 8 फीट और इसका व्यास 4 फीट है। तानपुरा को मेटल और पीतल से बनाया गया है। इसकी चाभी भी मेटल की है। लोग इसे खड़े होकर बजा सकते हैं। आमतौर पर तानपुरा की लंबाई 4 से 5 फीट होती है, लेकिन बीएचयू के इस म्यूजियम में रखा तानपुरा आम तानपुरे से लगभग 2 गुने साइज़ का है। यह संग्रहालय बनारस के संगीत घराने और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास को बयां करता है।

उन्होंने बताया कि संग्रहालय का निर्माण पंडित लालमणि मिश्रा के समय में किया गया, इसलिए इसका नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है। इस संग्रहालय में बहुत से इंस्ट्रूमेंट यहीं के हैं। बहुत से बाहर से भी दिए गए हैं जैसे- तानपुरा, सितार, संदूर, विचित्र वीणा, सरस्वती, वीणा, तबला, झांझ, शहनाई, झुनझुना, ढोलक, तुड़गुड़ा, जल तरंग आदि उपलब्ध हैं। यहां 200 वर्ष से भी अधिक पुराने वाद्य यंत्र मौजूद हैं। म्यूजियम में हैं 150 से ज्यादा वाद्ययंत्र हैं। संगीत में रुचि रखने वाले लोग संकाय प्रमुख के आदेश के बाद इस म्यूजियम को देख सकते हैं। 

बीएचयू के इस वाद्ययंत्र म्यूजियम में रखे गए ज्यादातर इंस्टूमेंट्स बजाने लायक हैं जिन्हें संरक्षित कर यहां रखा गया है। कुछ यंत्र ऐसे भी हैं जिनकी रिपेयरिंग कोलकाता से कराई गई है। यहां वह हारमोनियम है जिसे दोनों हाथों से बजाया जाता था। संकाय प्रमुख प्रोफेसर संगीता पंडित ने बताया कि यह म्यूजियम अपने आप में अनूठा है। यहां पुराने और नए वाद्ययंत्रों को सहेज कर रखा गया है। छात्र-छात्राओं को इसे दिखाया जाता है। इसके बारे ने उन्हें जानकारी दी जाती है। इन वाद्ययंत्रों का अब प्रयोग नहीं किया जाता है, परंतु पुराने जमाने में इनका प्रयोग किया जाता था।