BHU: महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र को बंद करने के निर्णय पर गंगामित्रों की आपत्ति, चीफ प्रॉक्टर को ज्ञापन सौंप पुन: खोलने की मांग

 

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संचालित महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र को अचानक बंद किए जाने से नाराज गंगामित्रों का एक समूह विश्वविद्यालय के कुलपति के आवास पर पहुंचा और चीफ प्रॉक्टर को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने मांग की कि गंगा शोध केंद्र को तुरंत पुनः खोला जाए। ज्ञापन सौंपने वाले धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि वे सभी गंगा शोध केंद्र से तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त ईको-स्किल्ड गंगामित्र हैं और पिछले 6 वर्षों से 'नमामि गंगे' परियोजना के तहत गंगा जीर्णोद्धार, सफाई अभियान, हरित पट्टी विकास, जल संरक्षण और गंगा मिशन जागरूकता जैसे कार्यों में लगे हुए थे।

गंगामित्रों ने आरोप लगाया कि बीएचयू प्रशासन ने बिना किसी जांच या परामर्श के गंगा शोध केंद्र को काल्पनिक बताकर बंद कर दिया है। यह केंद्र नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित था, और प्रख्यात पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर बी.डी. त्रिपाठी के निर्देशन में कार्यरत था। 

गंगामित्रों का कहना है कि यह निर्णय न केवल महामना मालवीय जी के नाम और उनके आदर्शों का अपमान है, बल्कि 'नमामि गंगे' परियोजना को भी बाधित करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र के बंद होने से प्रयागराज से बलिया तक 7 जिलों में जल संरक्षण समितियों के 30,000 जल संरक्षक और 700 तकनीकी रूप से प्रशिक्षित गंगामित्रों की मेहनत निष्फल हो जाएगी। 

गंगामित्रों ने इस निर्णय पर गहरी चिंता व्यक्त की और बताया कि बीएचयू प्रशासन ने अन्य केंद्रों को बंद करने से पहले कई समितियां गठित कर, जमीनी स्तर पर जांच के बाद निर्णय लिया था, जबकि इस केंद्र को बंद करने में इन प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। उन्होंने इस निर्णय को विश्वविद्यालय के संस्थापक और भारतरत्न महामना मालवीय जी के आदर्शों के विरुद्ध बताया और कहा कि यह निर्णय गंगा मिशन और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के इतिहास में एक काला धब्बा साबित हो रहा है। 

गंगामित्रों ने मांग की कि बीएचयू के कुलपति द्वारा महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र को बंद करने का निर्णय तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए, ताकि 'नमामि गंगे' परियोजना का कार्य निर्बाध रूप से जारी रह सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईको-स्किल्ड गंगामित्र अपने कार्य को पुनः उत्साह के साथ जारी रखना चाहते हैं और वाराणसी व अन्य जिलों में गंगा स्वच्छता और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं।