‘रज-तम से मुक्त हो अयोध्या, शराब और मांस पर लगे पूर्ण प्रतिबंध’ बनारस में हिंदू संगठनों ने बुलंद की आवाज़

 
वाराणसी। 500 वर्षों के निरंतर संघर्ष और हजारों हिंदुओं के बलिदान के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। रामलला अपने गर्भगृह में 22 जनवरी को विराजमान होंगे। इसी बीच धर्म नगरी अयोध्या की पवित्रता बनाए रखने हेतु सम्पूर्ण अयोध्या नगरी को मांस-मंदिरा मुक्त करने की मांग उठी है। 

कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर हिन्दू जनजागृति समिति के ओर से शुक्रवार को हिन्दू राष्ट्र-जागृति जनसभा का आयोजन किया गया। इस दौरान अयोध्या को मांस-मंदिरा मुक्त करने हेतु मुख्यमंत्री के नाम से संबोधित जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें हिंदू व्यापारियों पर जबरन थोपे गए और धार्मिक भेदभाव करनेवाले गैरकानूनी 'हलाल सर्टिफिकेशन' पर पूरे भारत में प्रतिबंध लगाए जाने की मांग भी की गई। 

जिलाधिकारी को दिए पत्र में बताया कि 9 मार्च 2004 को सुप्रीमकोर्ट ने 'हरिद्वार' और 'ऋषिकेश' के तीर्थ क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा लगाए गए 'मांस-शराब' प्रतिबंध को बनाए रखते हुए कहा है कि इन तीर्थ स्थलों पर कुंभ मेला के लिए बड़ी संख्या में आनेवाले करोड़ों श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। 

इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में इस ‘मांस-मदिरा' पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। इस दृष्टि से तीर्थस्थल पर्यटन स्थल न बनें इसका भीध्यान रखा जाए। अन्यथा अयोध्या नगरी में दिव्यता घट जाएगी और रज-तम बढ जाएगा। बताया कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि अन्न पदार्थ एवं उत्पादों को प्रमाणपत्र देने का अधिकार केवल सरकार को ही है, निजी संस्थाओं को नहीं। 

इसी के साथ मुस्लिम महासंघ ने भी अब घोषित कर दिया है कि हमें नहीं पता था कि गेहूं, चावल जैसे अनाजों को भी 'हलाल सर्टिफिकेट' दिया जाता है। हमारे पंथ में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है। जिन निजी प्रतिष्ठानों द्वारा 'हलाल सर्टिफिकेट' जारी किया जा रहा है। उनकी 'हलाल से प्राप्त धनराशि का उपयोग कहां होता है। पत्र में इसके सीबीआई जांच की भी मांग की गई।