प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली महाशिवरात्रि पर 'रामेश्वरमय' हुई श्रीराम की नगरी अयोध्या 

श्रीहरि की साकेत नगरी अयोध्या शुक्रवार को भगवान राम के भी ईश्वर यानी 'रामेश्वर' को समर्पित हो गई। भोर के तीन बजे से ही हर-हर महादेव के महाघोष और भोले शंकर के जयकारों के बीच शिव भक्तों का सैलाब पहले सरयू नदी के घाट पर और इसके बाद शिव मंदिरों उमड़ पड़ा।
 

- महाशिवरात्रि पर अयोध्या में गूंजा हर-हर महादेव का महाघोष 

- अयोध्या पहुंचे लाखों श्रद्धालु, सीएम योगी के निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था रही तगड़ी

- प्रसिद्ध नागेश्वर नाथ मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

- कंकरही बाजार शिव मंदिर में संपन्न हुआ गरीब कन्याओं का विवाह

अयोध्या, 8 मार्च। श्रीहरि की साकेत नगरी अयोध्या शुक्रवार को भगवान राम के भी ईश्वर यानी 'रामेश्वर' को समर्पित हो गई। भोर के तीन बजे से ही हर-हर महादेव के महाघोष और भोले शंकर के जयकारों के बीच शिव भक्तों का सैलाब पहले सरयू नदी के घाट पर और इसके बाद शिव मंदिरों उमड़ पड़ा। प्रातः से ही सरयू में डुबकी लगाकर भक्त अपने आराध्य भोलेनाथ के दर्शन को आतुर दिखे। शिवरात्रि पर अयोध्या में जुटने वाली लाखों की भीड़ को देखते हुए योगी सरकार ने सुरक्षा चक्र को काफी मजबूत कर दिया था। सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। रूट डायवर्सन के माध्यम से भीड को नियंत्रित किया गया। वहीं राममंदिर में दर्शनार्थियों के लिए सुगम दर्शन की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई थी। 

प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली महाशिवरात्रि
अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर में प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद यह पहली महाशिवरात्रि है, इसलिए भोले के उपासक इसे और भी खास मान रहे हैं। बता दें कि भगवान श्रीराम जहां महादेव को अपना ईश्वर बताते हैं और उनके ज्योतिर्लिग की स्थापना करते हैं, वहीं देवाधिदेव शिव भी हनुमान के रूप में रुद्रावतार लेकर रामकाज और प्रभु भक्ति का प्रतिमान गढ़ देते हैं। श्रीराम और शिव के बीच इस अलौकिक संबंध की झलक अयोध्या में हर जगह बिखरी दिखाई दी। नगर के विभिन्न शिवालयों में भोर से ही श्रद्धा और भक्ति में सराबोर शिव भक्तों की लंबी कतार देखने को मिली।

कुश ने की थी नागेश्वर नाथ महादेव मंदिर की स्थापना
देश के 108 प्रमुख शिवमंदिरों में से एक अयोध्या का नागेश्वर नाथ महादेव मंदिर शिवभक्तों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। मान्यता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी। लिहाजा शिव भक्तों ने ब्रह्म मुहूर्त से ही सरयू स्नान करके बेल पत्र, गेहूं की बाली, गन्ने का गुटका, बेर, पुष्प,धतूर चढ़ाकर दूध और जल का अभिषेक करना प्रारंभ कर दिया। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे।