बनारस रंग महोत्सव के समापन पर नाटक रघुनंदनम की प्रस्तुति, कलाकारों ने दर्शकों के समक्ष रखी अपनी बात 

बनारस रंग महोत्सव के समापन के अवसर पर नाटक रघुनंदनम अभिनंदन की प्रस्तुति की गई। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस पर आधारित इस नाटक की कहानी रावण वध के उपरांत लंका काण्ड के अंत से लेकर उत्तर काण्ड के प्रथम की कुछ चौपाइयों तक थी। कलाकारों ने सदा से स्त्री की सत्यता व पवित्रता पर समाज की ओर से उठाए जाने वाले सवालों पर अपनी बात रखी। 
 

वाराणसी। बनारस रंग महोत्सव के समापन के अवसर पर नाटक रघुनंदनम अभिनंदन की प्रस्तुति की गई। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस पर आधारित इस नाटक की कहानी रावण वध के उपरांत लंका काण्ड के अंत से लेकर उत्तर काण्ड के प्रथम की कुछ चौपाइयों तक थी। कलाकारों ने सदा से स्त्री की सत्यता व पवित्रता पर समाज की ओर से उठाए जाने वाले सवालों पर अपनी बात रखी। 

तुलसी दास जी ने राम चरित मानस में वर्णित किया है कि जिस प्रकार समुंद्र मंथनोपरांत जल के माध्यम से प्रकट होकर मां लक्ष्मी श्री हरी विष्णु को सोपा गई थीं। उसी प्रकार अग्नि परीक्षा के बाद मां सीता अग्नि में से प्रकट होकर श्री राम को सौंपी गई थीं। इस प्रस्तुति में जहा 21 कलाकारों ने राम चरित मानस के दोहे चौपाई तथा छंद गाए गए, वहीं मंच पर अन्य 21 कलाकारों ने उन पर भवाभिनय किया। प्रस्तुति में चौपाई में तुलसी दास जी यह कहते हैं कि प्रभु श्री राम ने विभीषण हनुमान तथा अन्य वानरों से आग्रह किया कि माता सीता को वायु मार्ग से नहीं पैदल लेकर आएं, ताकि सभी रीछ वानर भालू उनका दर्शन कर सकें। नाटक को केवल मंच तक सीमित न रख कर प्रख्यात रंगविशेषज्ञ स्टेन्स लेवेस्की की बताई गई फोर्थ वाल का खंडन निर्देशक द्वारा बखूबी किया गया। 

नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के स्नातक तथा बनारस रंग महोत्सव के निदेशक गुंजन शुक्ला ने किया। नृत्य संरचना शिवानी मिश्रा इलाहाबाद और शुभ्रा मुंशी ने की। गायन एवं संगीत ज्योत्सना भट्टाचार्य ने किया। नाटक के उपरांत महोत्सव निदेशक ने सभी का धन्यवाद करते हुए आगामी वर्षों में बनारस रंग महोत्सव के और भी श्रृंखलाएं के आयोजन का भरोसा दिलाया। धन्यवाद ज्ञापन जगमोहन सिंह नेगी ने किया।