अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ने तीन लाख लोगों तक पहुंचाया मां का प्रसाद, कैंट स्टेशन पर यात्रियों में हो रहा वितरित 

आठ माह में मां अन्नपूर्णा का प्रसाद तीन लाख लोगों तक पहुंचाया गया। कैंट रेलवे स्टेशन पर यात्रियों में प्रसाद का वितरण किया जा रहा है। रोजाना लगभग डेढ़ हजार यात्रियों में प्रसाद का वितरण किया जाता है। 
 

वाराणसी। आठ माह में मां अन्नपूर्णा (Annapurna temple) का प्रसाद तीन लाख लोगों तक पहुंचाया गया। कैंट रेलवे स्टेशन (cant railway station varanasi) पर यात्रियों में प्रसाद का वितरण किया जा रहा है। रोजाना लगभग डेढ़ हजार यात्रियों में प्रसाद का वितरण किया जाता है। 

 

ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ (kashi vishwanath) की नगरी में कोई भूखा नहीं सोता है। काशी में कहीं जाने वाली इस कहावत को साक्षात अन्नपूर्णा मंदिर का अन्नक्षेत्र साकार कर रहा है। अन्न की देवी की इस खास रसोई में सुबह से लेकर मध्यरात्रि के बाद तक अन्नक्षेत्र के सेवादार भक्त, यात्रियों, जरूरतमंद और गरीबों को निःशुल्क भोजन कराते हैं। स्वाद भी ऐसा की प्रसाद चखने वाला हर कोई दोबारा यहां प्रसाद ग्रहण करने के लिए आने से भी खुद को नहीं रोक पाता। 

 

ढाई दशक पहले पांच किलो सूजी के बने हलवे से हुई मां अन्नपूर्णा की रसोई अब 24 घंटे भक्तों का पेट भर रही है। अन्नक्षेत्र का विस्तार अब मंदिर से लेकर कैंट रेलवे स्टेशन तक हो चुका है। अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र में रोजाना 10 हजार से ज्यादा भक्तों को प्रसाद मिल रहा है। वहीं रात में चलने वाले अन्न सेवा में रोज 1500 यात्रियों तक भोजन प्रसाद पहुंच रहा है। 

माता की रसोई में कोई भेदभाव नहीं, कोई वीआईपी नहीं
माता की रसोई में कोई वीआईपी नहीं है। बिना भेदभाव श्रद्धा व प्रेम भाव से पेटभर भोजन कराया जाता है। अन्नक्षेत्र में कोई भी वीआईपी नहीं होता है। 50 से अधिक सेवादार सुबह से इस काम में जुटे रहते हैं। मां अन्नपूर्णा का प्रसाद हर दिन अलग-अलग होता है। हर रोज चावल, दाल, सब्जी, सांभर, पूड़ी, डही, मिठाई और पापड़ परोसा जाता है। 

स्वयं शिव ने मांगी थी भिक्षा 
मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार काशी में अकाल पड़ा था तो भगवान शंकर (Lorc shiva) ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए मां अन्नपूर्णा से स्वयं भिक्षा मांगी थी। मां अन्नपूर्णा ने आशीर्वाद दिया था कि काशी (kashi) में अब कोई भूखा नहीं सोएगा, तब से ही मान्यता है कि काशी में कोई भूखा उठता तो है पर भूखा सोता नहीं है।