अंबुबाची महापर्व : वाराणसी के कामाख्या मंदिर में शक्ति और साधना का उत्सव
वाराणसी। असम की नीलांचल पहाड़ियों पर बसे कामाख्या देवी मंदिर और वाराणसी के कमच्छा में स्थित प्राचीन कामाख्या मंदिर में 22 से 26 जून तक अंबुबाची महापर्व का भव्य आयोजन होने जा रहा है। यह पर्व न केवल भक्ति और शक्ति का प्रतीक है, बल्कि तांत्रिक साधना और प्रकृति के गूढ़ रहस्यों का उत्सव भी है। इस दौरान मां कामाख्या के 'रजस्वला' होने की मान्यता के कारण मंदिर के कपाट चार दिनों तक बंद रहते हैं, और कोई पूजा या दर्शन नहीं होता।
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां देवी के मासिक धर्म को पवित्र मानकर अंबुबाची पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इन चार दिनों में मां कामाख्या ऋतुमती होती हैं, और उनकी चेतना पृथ्वी पर सर्वाधिक सक्रिय रहती है। इस दौरान तांत्रिक, अघोरी, साधक और सिद्ध पुरुष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए साधना में लीन हो जाते हैं। मंदिर के कपाट खुलने पर सिद्धियों का मेला लगता है, जो विश्वभर के श्रद्धालुओं और शोधकर्ताओं को आकर्षित करता है।
दूसरी ओर, वाराणसी के कमच्छा में स्थित कामाख्या मंदिर भी इस पर्व का केंद्र है। यह मंदिर त्रेतायुग से जुड़ा हुआ माना जाता है और मां अन्नपूर्णा के समकालीन बताया जाता है। लिंग पुराण और भविष्य पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। स्थानीय साधकों के अनुसार, जब गुवाहाटी की कामाख्या देवी ऋतुमती होती हैं, तो काशी की कामाख्या भी रजस्वला होती हैं। यहां भी चार दिनों तक तंत्र-मंत्र की गुप्त साधनाएं होती हैं। हालांकि यह मंदिर गुवाहाटी जितना भव्य नहीं, लेकिन इसकी शक्ति उतनी ही प्रबल मानी जाती है।
अंबुबाची केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि महिला शक्ति और प्रकृति के बीच संवाद का प्रतीक है। यह पर्व स्त्रीत्व के सम्मान और सृष्टि के रहस्यों को उजागर करता है। तंत्र परंपरा में माना जाता है कि शक्ति अनेक रूपों में प्रकट होती है, और काशी व गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर इसके द्वार हैं। इस दौरान साधक न केवल सिद्धि, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने के लिए एकत्र होते हैं।
यह महापर्व विश्वभर के श्रद्धालुओं, शोधकर्ताओं और साधकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। गुवाहाटी और काशी के कामाख्या मंदिर न केवल पूजा स्थल, बल्कि चेतना के केंद्र हैं। अंबुबाची का संदेश स्पष्ट है कि जब शक्ति प्रसन्न होती है, तभी सृष्टि पूर्ण होती है। यह पर्व हमें प्रकृति, स्त्री और शक्ति के गहरे रिश्ते को समझने का अवसर देता है।