बीएचयू में पांच साल बाद युवा महोत्सव ‘स्पंदन’ की धूम, सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गुलजार हुई महामना की बगिया, निकाली भव्य शोभायात्रा
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के बहुप्रतीक्षित अंतर-संकाय युवा महोत्सव ‘स्पंदन’ की भव्य शुरुआत सोमवार को हुई। पांच साल के लंबे अंतराल के बाद आयोजित इस महोत्सव ने विश्वविद्यालय परिसर में नई ऊर्जा का संचार कर दिया। विभिन्न संकायों, संस्थानों और महाविद्यालयों के छात्रों ने शोभायात्रा निकालकर उत्सव का आगाज किया। इस दौरान पूरे परिसर में सांस्कृतिक उल्लास की झलक देखने को मिली।
महोत्सव के उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका एवं बीएचयू की पूर्व छात्रा पद्मश्री डॉ. सोमा घोष मुख्य अतिथि रहीं। उन्होंने अपनी प्रस्तुति से समा बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने मशहूर बंदिश “कितनी मिलती है तेरी तस्वीर ख़ुदा से, तुझे सोचूं भी तो इबादत हो जाती है” से की। उन्होंने अपने संबोधन में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के योगदान को याद किया और उनके शैक्षिक एवं सामाजिक योगदान को सराहा।
भव्य शोभायात्रा ने बढ़ाई महोत्सव की रौनक
बीएचयू परिसर में शोभायात्रा के दौरान विद्यार्थियों ने नृत्य, संगीत और रंग-बिरंगे झांकियों के माध्यम से अपनी संस्कृति और सामाजिक संदेशों को प्रस्तुत किया। इस यात्रा में 23 टीमों ने हिस्सा लिया। इसमें महिला महाविद्यालय ने "शिक्षित भारत, विकसित भारत", बसंत कन्या महाविद्यालय ने "भारत: एक विश्वगुरु", वसंत कॉलेज ऑफ वूमेन ने "विकास के पथ पर अग्रसर भारत", और राजीव गांधी साउथ कैंपस ने "गांव का विकास, देश का विकास" विषयों पर झांकी प्रस्तुत की।
इसके अलावा, आईआईटी बीएचयू और फैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंस की टीमों ने विज्ञान और सामाजिक बदलाव पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए। दृश्य कला संकाय के प्रतिभागियों ने अपनी कला से महामना मदन मोहन मालवीय की आकृति को मात्र तीन मिनट में उकेरकर सभी को चकित कर दिया।
पहले दिन में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित
महोत्सव के पहले दिन विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें वाद-विवाद, भाषण, कविता, फोटोग्राफी और निबंध लेखन प्रमुख रहे।
1. भाषण प्रतियोगिता:
सुबह 9:30 बजे से “महामना के सपने: नैतिकता से परिपूर्ण युवाओं के लिए दृष्टिकोण” विषय पर हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषाओं में भाषण प्रतियोगिता हुई। अंग्रेज़ी भाषा की प्रतियोगिता डॉ. कर्ण सिंह हॉल, शारीरिक शिक्षा विभाग में आयोजित हुई, जिसमें 19 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। हिंदी भाषा की प्रतियोगिता मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में हुई, जिसमें 17 प्रतिभागियों ने भाग लिया। संस्कृत भाषा में विधि संकाय के संकाय लाउंज में आयोजित प्रतियोगिता में 10 छात्र शामिल हुए।
2. निबंध लेखन प्रतियोगिता:
सुबह 10 बजे से शारीरिक शिक्षा विभाग के कमरा संख्या-36 में "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सामाजिक मूल्य: नैतिकता व नवाचार में संतुलन" विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें 43 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
3. ऑन-द-स्पॉट फोटोग्राफी प्रतियोगिता:
दृश्य कला संकाय के प्रदर्शनी हॉल में "लाइफ या लाइट एंड शेड" विषय पर फोटोग्राफी प्रतियोगिता हुई। प्रतिभागियों ने अपनी कैमरे की नजर से विषय को चित्रित किया।
4. हिंदी वाद-विवाद प्रतियोगिता:
के. एन. उडुपा प्रेक्षागृह में "वैश्वीकरण स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभदायक है या नहीं?" विषय पर 21 प्रतिभागियों ने अपनी बात रखी। कुछ प्रतिभागियों ने वैश्वीकरण को ‘मेड इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ की बहस से जोड़ा, तो कुछ ने सिंधु घाटी सभ्यता से आधुनिक वैश्वीकरण की तुलना कर ऐतिहासिक संदर्भ दिए।
5. हिंदी कविता प्रतियोगिता:
कृषि शताब्दी भवन में हिंदी कविता प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें 22 प्रतिभागियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से बचपन, प्रकृति, यात्रा और स्मृतियों को अभिव्यक्त किया। एक प्रतिभागी ने अपनी रचना में कहा:
"बचपन की मासूमियत अभी भी याद है,
बड़े हुए पर बचपना अभी भी ना गया!"
महिला सशक्तिकरण और योग पर दी विशेष प्रस्तुतियां
महोत्सव के दौरान फैकल्टी ऑफ़ मॉडर्न मेडिसिन, डेंटल साइंस और नर्सिंग संकाय के छात्रों ने योग और मानसिक स्वास्थ्य पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए। इसमें नशा मुक्ति, आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर जोर दिया गया।
संगीत और मंच कला संकाय ने कृषि एवं ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नृत्य प्रस्तुति दी। वहीं, ला फैकल्टी और फैकल्टी ऑफ़ सोशल साइंस ने नए भारत और आत्मनिर्भर भारत की झलक अपने प्रस्तुतियों में दी।