बनारस में ओस की बूंद से बनती है अनोखी मिठाई, देश - विदेश के पर्यटक लेते है स्वाद
वाराणसी। सर्दियों के मौसम में खान-पान के शौकीन लोगों के लिए बनारस जरूर जाना चाहिए, क्योंकि इन दिनों में ही यहां की एक अद्भुत मिठाई मलइयों मिलती है। चाट, पान के अलावा बनारस में ओस की बूंदों से तैयार होने वाली यह मिठाई अपने अद्भुत स्वाद के लिए मशहूर है। अगर आपने अभी तक मलइयो का स्वाद नहीं चखा है, तो देर मत करिए, आज ही बनारस जाने का प्लान बनाएं, ताकि मलइयो चख सकें।
ठिठुराती ठंड में गुनगुनाती धूप सा एहसास देती है बनारस की मलइयो। मुंह में जाते ही घुल जाती है और तासीर ऐसी तो देर तक जुबान पर मिठास बनाए रखती है। काशी खानपान के लिए भी प्रसिद्ध है और उन्हीं खास खानपान में शामिल है काशी की मलइयो। काशी की पहचान बन चुका मलइयो का जायका सिर्फ ठंड के दिनों में ही लिया जा सकता है। इसकी भी अपनी वजह है। क्योंकि, ये खास मलइयो ओस की बूंदों से बनता है। जैसे जैसे ठंड बढ़ती है, इसकी खासियत भी बढ़ने लगती है।
बनारस में लंका क्षेत्र स्थित रविदास गेट के सामने पहलवान की दुकान पर मलइयो की दूकानें सज गई हैं। वैसे तो इस दौर में अब दक्षिण के पकवान कश्मीर में मिलते हैं और पंजाब की लस्सी आसाम व सिक्किम में लेकिन मलइयो पर अब भी काशी का ही एकाधिकार है जो विदेशों तक मशहूर है। दूध से बनने वाली मलइयो की शुरुआत सैकड़ों साल पहले बनारस में ही हुई थी। मलइयो को बनाने के लिए पहले कच्चे दूध को उबाला जाता है। उबले दूध को रात भर खुले आसमान में रख दिया जाता है ताकि इस पर ओस पड़ सके। भोर होते ही दूध को मथा जाता है। दूध को मथने के बाद निकलने वाले झाग में चीनी, केसर, पिस्ता, मेवा, इलायची मिलाकर मलइयो तैयार होती है और फिर उसे कुल्हड़ व मटकी में सजाकर पेश किया जाता है।
ओस की वजह से ही मलइयो का झाग घंटों बना रहता है। मलइयो बनाने की शुरुआत पक्के महाल में चौखंभा से हुई थी। चौखंभा गोपाल मंदिर से इसका दायरा जो बढ़ा तो आज चौक, गोदौलिया ही नहीं अस्सी व लंका तक इसकी दूकानें सज गई हैं। करीब 40 साल से मलइयो बेच रहे कमच्छा के आनंद यादव बताते हैं कि मलइयो के लिए खास तौर पर ठंड में विदेशी मेहमान आते हैं। अब तो शादी ब्याह में भी मलइयो पेश किया जाने लगा है। अब लोग मशीन से भी इसे तैयार कर रहे हैं। 300 से लेकर 400 रुपये प्रति किलो मलइयो मिल रहा है। वहीं 15 रुपये से लेकर 30 रुपये तक छोटे, मीडियम और बड़े साइज के कुल्हड़ में ये मिलता है।