चार वर्षों में दिव्यता की नई गाथा : नवाचारों ने बदली श्री काशी विश्वनाथ धाम की तस्वीर

श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को चार साल पूरे हो रहे हैं। लोकार्पण दिवस वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर श्री काशी विश्वनाथ धाम एक बार फिर अपनी अद्भुत भव्यता और दिव्यता के साथ दमक उठा है। आकर्षक साज-सज्जा, भव्य प्रकाश व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी ने पूरे धाम को उत्सव के रंग में रंग दिया है। धाम के लोकार्पण के चार वर्ष पूर्ण होने पर दो दिनों तक विशेष सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं।
 

वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को चार साल पूरे हो रहे हैं। लोकार्पण दिवस वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर श्री काशी विश्वनाथ धाम एक बार फिर अपनी अद्भुत भव्यता और दिव्यता के साथ दमक उठा है। आकर्षक साज-सज्जा, भव्य प्रकाश व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी ने पूरे धाम को उत्सव के रंग में रंग दिया है। धाम के लोकार्पण के चार वर्ष पूर्ण होने पर दो दिनों तक विशेष सांस्कृतिक आयोजन किए जा रहे हैं।

बीते दो वर्षों में हुए सतत नवाचारों ने न केवल धाम की सुंदरता को नई ऊंचाइयां दी हैं, बल्कि इसे आधुनिक, सुगम, सुलभ और विश्वस्तरीय आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष निगरानी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा वर्ष 2024 से अब तक किए गए इन सुधारों ने काशी की परंपरा, संस्कृति, आध्यात्मिकता और आधुनिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत किया है।

धाम में नवाचारों का दो वर्ष: नव्य, भव्य और दिव्य धाम की नई तस्वीर
मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र के अनुसार, वर्ष 2024 से 2025 के बीच धाम में कई नए धार्मिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और व्यवस्थागत सुधार लागू किए गए। इन नवाचारों ने न केवल श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को व्यवस्थित किया, बल्कि दर्शन को अधिक सुगम और सुरक्षित बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वर्ष 2024 में जहां 6 करोड़ 23 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया, वहीं 2025 में यह संख्या बढ़कर 6 करोड़ 66 लाख से अधिक हो गई। 13 दिसंबर 2021 को लोकार्पण के बाद इन चार वर्षों में 26 करोड़ से अधिक देशी-विदेशी भक्त बाबा के धाम में नतमस्तक हो चुके हैं, जो धाम की बढ़ती लोकप्रियता और नवाचारों की सफलता का प्रमाण है।

लोकार्पण दिवस पर धाम में विशेष सजावट और आयोजन
लोकार्पण की पूर्व संध्या पर श्री काशी विश्वनाथ धाम को भव्य प्रकाश से सजाया गया है। मंदिर चौक, गलियारों, दीयों और पुष्पों से सजे द्वारों ने धाम को असाधारण सौंदर्य प्रदान किया है। दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देश के प्रतिष्ठित कलाकार शास्त्रीय संगीत, नृत्य और भक्ति प्रस्तुतियों से वातावरण को और दिव्य बनाएंगे। बाबा के आंगन में की गई आकर्षक सजावट श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र बन गई है।


वर्ष 2024-25 में हुए प्रमुख नवाचार
नीचे धाम में हुए उन विशेष नवाचारों का क्रमवार विवरण दिया गया है, जिन्होंने पिछले वर्षों में श्री काशी विश्वनाथ धाम की पहचान को नई ऊंचाइयां दी हैं। 

1. चिकित्सा केंद्रों और संस्कृत विद्यालयों के लिए भोजन व्यवस्था
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा संचालित अन्नक्षेत्र के माध्यम से जनपद के कैंसर अस्पताल, जिला अस्पताल में ठहरे तीमारदारों तथा जनपद के संस्कृत विद्यालयों के छात्रों के लिए भोजन व्यवस्था शुरू की गई। यह सेवा धाम की सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय संवेदनाओं का श्रेष्ठ उदाहरण बनकर सामने आई।

2. काशीवासियों के लिए विशेष प्रवेश मार्ग की शुरुआत
12 जुलाई 2024 से पहली बार काशीवासियों के लिए विशेष प्रवेश मार्ग की सुविधा शुरू की गई। स्थानीय पहचान पत्र दिखाकर काशीवासी प्रतिदिन प्रातः 4–5 बजे और सायं 4–5 बजे के बीच सरलता से दर्शन कर सकते हैं। यह पहल नागरिकों की सुविधा और परंपरागत काशीवासीयों के सम्मान का प्रतीक है।

3. एफसीआरए सुविधा की शुरुआत: विदेश से आसान दान व्यवस्था
5 सितंबर 2024 को धाम को विदेशी अंशदान (विनियम) अधिनियम-FCRA की मंजूरी मिली। इससे विदेशों में बैठे श्रद्धालु सीधे मंदिर न्यास के खाते में दान भेज सकते हैं। यह सुविधा पारदर्शिता और वैश्विक स्तर पर भक्तों की सहभागिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण रही।

4. पहली बार वर्चुअल दर्शन (AR/VR) की सुविधा
13 जून 2024 से श्रद्धालुओं के लिए AR/VR के माध्यम से वर्चुअल दर्शन की सुविधा शुरू की गई। अब भक्त मंगला आरती, मध्याह्न भोग, सप्तऋषि, श्रृंगार और शयन आरती का अनुभव वर्चुअल माध्यम से भी कर सकते हैं। तकनीक और अध्यात्म का यह संगम धाम की सबसे चर्चित पहल बनी।

5. पुष्पवर्षा से श्रद्धालुओं का स्वागत
श्रावण मास, महाशिवरात्रि और मुख्य पर्वों पर कतार में लगे भक्तों पर पुष्पवर्षा से स्वागत की परंपरा ने दर्शन का अनुभव और अधिक भक्तिमय बना दिया।

6. प्लास्टिक मुक्त धाम अभियान
श्री काशी विश्वनाथ धाम को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए वर्ष 2025 के श्रावण मास में बड़े स्तर पर अभियान चलाया गया। 11 अगस्त 2025 से प्लास्टिक की वस्तुओं के साथ धाम में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया।

7. सात्विक प्रसाद निर्माण एवं विक्रय व्यवस्था
मंदिर न्यास ने एकीकृत सात्विक प्रसाद निर्माण और विक्रय व्यवस्था शुरू की। तंदुल और बेलपत्र से निर्मित सात्विक प्रसाद श्रद्धालुओं को न केवल गुणवत्ता का आश्वासन देता है, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव को भी गहरा बनाता है।

8. वृद्ध, दिव्यांग और बच्चों के लिए विशेष सुविधाएं
धाम में आने वाले वृद्ध, दिव्यांग और आशक्त जनों के लिए निःशुल्क गोल्फ कार्ट व ई-रिक्शा सेवा शुरू की गई। ग्रीष्म ऋतु में कैनोपी, कूलर, प्याऊ, ORS का वितरण और बच्चों के लिए टॉफी-बिस्कुट जैसी व्यवस्थाएं की गईं।

9. मथुरा-काशी भेंट परंपरा की शुरुआत
होली 2025 पर पहली बार मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान से भगवान श्री विश्वेश्वर के लिए भेंट भेजी गई, और धाम से लड्डू गोपाल के लिए भेंट भेजी गई।
यह पहल काशी-मथुरा धार्मिक संबंधों की नई परंपरा बनी।

10. काशी-रामेश्वरम तीर्थ जल विनिमय
श्री काशी विश्वनाथ और श्री रामनाथ स्वामी मंदिर, रामेश्वरम के बीच पवित्र रज और तीर्थ जल के विनिमय की ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत हुई। यही जल दोनों धामों में ज्योतिर्लिंग के अभिषेक में उपयोग होता है।

11. विशेष पर्वों और पर्वतिथियों पर धार्मिक आयोजन
गंगा सप्तमी, दशहरा, राधाष्टमी, बैकुंठ चतुर्दशी सहित कई पर्वों पर विशेष पूजन, रुद्राभिषेक और अनुष्ठान आयोजित किए गए। शंकराचार्य चौक पर होने वाली सांस्कृतिक संध्याओं का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण भी शुरू किया गया।

12. सांसद संस्कृत प्रतियोगिता और शिक्षा संवर्धन
संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए पहली बार सांसद संस्कृत प्रतियोगिता आयोजित की गई। साथ ही संस्कृत विद्यालयों के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को वाद्य यंत्र, पुस्तकें और वस्त्र वितरित किए गए।

13. श्री नंदीश्वर पूजा और विशेष श्रृंगार व्यवस्था
हर प्रदोष तिथि पर 11 आचार्यों द्वारा श्री नंदीश्वर पूजा की परंपरा शुरू की गई। विशेष पर्वों पर माता विशालाक्षी और अन्य देवी विग्रहों के श्रृंगार के लिए वस्त्र व सामग्रियां भगवान विश्वेश्वर को अवलोकन कराकर भेजी जाती हैं।

14. सभी देव विग्रहों की नियमित पूजा
महत्वपूर्ण पर्वों पर धाम स्थित सभी देव विग्रहों की पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक के भव्य आयोजन ने धार्मिक वातावरण को और दिव्य बनाया।