काशी में भक्ति और उल्लास का संगम, चिन्तामणि गणेश मंदिर से निकली भव्य शोभायात्रा

धर्मनगरी काशी एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और सांस्कृतिक वैभव के रंग में रंगी नजर आई, जब केदारघाट स्थित चिन्तामणि गणेश मंदिर से भगवान गणेश की भव्य शोभायात्रा पूरे उत्साह और श्रद्धाभाव के साथ निकाली गई। काशी के 56 विनायकों में प्रमुख स्थान रखने वाले चिन्तामणि गणेश जी, जिन्हें लंबोदर गणेश के नाम से भी जाना जाता है, के इस प्राचीन मंदिर से निकली शोभायात्रा ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय वातावरण से सराबोर कर दिया। चिन्तामणि गणेश मंदिर से प्रारंभ होकर सोनारपुरा, भेलूपुर होते हुए पुनः मंदिर प्रांगण में समाप्त हुई।
 

वाराणसी। धर्मनगरी काशी एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और सांस्कृतिक वैभव के रंग में रंगी नजर आई, जब केदारघाट स्थित चिन्तामणि गणेश मंदिर से भगवान गणेश की भव्य शोभायात्रा पूरे उत्साह और श्रद्धाभाव के साथ निकाली गई। काशी के 56 विनायकों में प्रमुख स्थान रखने वाले चिन्तामणि गणेश जी, जिन्हें लंबोदर गणेश के नाम से भी जाना जाता है, के इस प्राचीन मंदिर से निकली शोभायात्रा ने पूरे क्षेत्र को भक्तिमय वातावरण से सराबोर कर दिया। चिन्तामणि गणेश मंदिर से प्रारंभ होकर सोनारपुरा, भेलूपुर होते हुए पुनः मंदिर प्रांगण में समाप्त हुई।

चिन्तामणि गणेश मंदिर काशी का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान गणेश अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। मंदिर परिसर में रिद्धि, सिद्धि, शुभ और लाभ की प्रतिमाएं स्थापित हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां दर्शन मात्र से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का वास होता है। इसी आस्था के साथ रविवार को हजारों श्रद्धालु महिला-पुरुष शोभायात्रा में शामिल हुए।

भगवान गणेश की प्रतिमा को श्रद्धालुओं द्वारा कंधों पर उठाकर नगर भ्रमण कराया गया। शोभायात्रा के दौरान “गणपति बप्पा मोरया” के जयघोष से पूरा मार्ग गूंजता रहा। गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़ों और भक्ति संगीत के बीच श्रद्धालु नाचते-गाते चल रहे थे, जिससे वातावरण अत्यंत उत्साहपूर्ण बन गया। इस अवसर पर महाराष्ट्र से आए पारंपरिक वाद्य यंत्र कलाकारों ने ढोलक और अन्य वाद्य यंत्रों की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसने शोभायात्रा को विशेष आकर्षण प्रदान किया। मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश की आरती उतारी और पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया। शोभायात्रा जहां से भी गुजरी, वहां श्रद्धालु इस दिव्य दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद करते नजर आए।

शोभायात्रा में काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक आचार्य श्रीकांत शास्त्री तथा चिन्तामणि गणेश मंदिर के महंत चल्ला शुब्बाराव शास्त्री विशेष रूप से उपस्थित रहे। आयोजन को शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित बनाने के लिए प्रशासन द्वारा पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। यह भव्य आयोजन महान समाजसेवी एवं संतहृदय महंत स्वर्गीय श्री चल्ला कृष्णा शास्त्री जी की पुण्य स्मृति में आयोजित धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा था। उनकी स्मृति में कथा वाचिका नीलमणि शास्त्री एवं लक्ष्मीमणि शास्त्री द्वारा सप्तदिवसीय संगीतमय रामचरितमानस रामकथा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु सहभागिता कर रहे हैं।


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