35 किलो की स्वर्ण छतरी, 32 स्वर्ण कलश, काशी में संत रविदास के इस मंदिर में जलता है अखंड दीप, जानिए विशेषताएं

 
वाराणसी। मंदिरों के शहर काशी में संत रविदास का भव्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर को बनारस का दूसरा स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। वाराणसी के सिरगोवर्धन इलाके में स्थित संत रविदास के इस मंदिर में कई खास चींजे हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते है। रविदास मन्दिर में उनकी प्रतिमा के आगे जलने वाला दीप सोने से बना हुआ है। इस दीप की कीमत करोड़ों में है।


35 किलो सोने से बने इस दीपक में अंखण्ड ज्योति जलती है। बताया जाता है कि इस दीप में एक बार में 5 किलो घी भरा जाता है। इस दीपक को उनके एक भक्त ने ही दान में दिया था।बताते चलें कि हर साल माघ पूर्णिमा पर संत रविदास की जयंती मनाई जाती है और उनके जयंती के मौके पर यहां लाखों भक्तो की भीड़ उमड़ती है। इस दिन कई वीवीआईपी भी यहां मत्था टेकने आते है।


सोने की ये चींजे भी है मौजूद

मंदिर ट्रस्ट से जुड़े निरंजन दास चीमा ने बताया कि सोने के दीपक के अलावा यहां 130 किलो सोने की पालकी भी है। इसके अलावा 35 किलो सोने की छतरी, 32 स्वर्ण कलश और शिखर पर भी सोना मढ़ा हुआ है। इतना ही नहीं, मंदिर का गेट भी स्वर्ण मंडित है। कुल मिलाकर संत रविदास करोड़ो रुपये के सोने के मालिक है।


दिल खोलकर भक्त देते हैं दान

बता दें कि हर साल उनके जयंती के अवसर पर देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां दर्शन को आते है और संत रविदास के चरणों में दिल खोलकर दान देते है। संत रविदास के मंदिर में सोने की ये चींजे भक्तों ने दान में ही दी है।