वाराणसी : विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला-बालि मारा गया और बल की याद दिलाते हनुमान ने की गर्जना
विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के 18 वें दिन सोमवार को सुग्रीव से मिताई के बाद बालि भगवान श्रीराम के बाण से मारा गया। श्रीराम वचन दृढ़ता के लिए जाने जाते हैं। कैसे न सुग्रीव को दिया वचन निभाते। सो कर दिया बालि का वध। सुग्रीव को बना दिया किष्किंधा का राजा। लेकिन जब सुग्रीव की बारी आई तो वह राजमद में भूल गया। फिर उसे श्रीराम के बल की याद दिलानी पड़ी।
रिपोर्टर-आरके सिंह, ओमकारनाथ
वाराणसी। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के 18 वें दिन सोमवार को सुग्रीव से मिताई के बाद बालि भगवान श्रीराम के बाण से मारा गया। श्रीराम वचन दृढ़ता के लिए जाने जाते हैं। कैसे न सुग्रीव को दिया वचन निभाते। सो कर दिया बालि का वध। सुग्रीव को बना दिया किष्किंधा का राजा। लेकिन जब सुग्रीव की बारी आई तो वह राजमद में भूल गया। फिर उसे श्रीराम के बल की याद दिलानी पड़ी।
रामलीला में श्रीराम सुग्रीव को बालि से युद्ध के लिए भेजते हैं। बालि की पत्नी तारा उसे समझाती है लेकिन वह नहीं माना और यह कहकर कि भगवान सबको बराबर देखते हैं, युद्ध के लिए चला। बालि सुग्रीव की खूब पिटाई करता है। राम दोनों भाइयों के एक समान रूप देखकर भ्रम में पड़ जाते हैं। तब उन्होंने सुग्रीव को एक माला पहनाकर पुनः युद्ध के लिए भेजा। जब सुग्रीव बाली से युद्ध में हारने लगा तो राम पेड़ की आड़ से एक बाण मार कर बालि का वध कर देते हैं। इसके बाद बालि अपने पुत्र अंगद को श्रीराम को सौंपकर अपने प्राण त्याग देता है। सुग्रीव का राजतिलक कर किष्किंधा का राजा बनाया जाता है।
प्रवर्षण पर्वत पर निवास के दौरान वर्षा काल में बरसते बादलों को देखकर राम और लक्ष्मण उसका वर्णन करते हैं। इधर लम्बी अवधि तक सीता की कोई खबर ना पाकर राम क्रोधित हो कर लक्ष्मण से कहतें हैं कि लगता है सुग्रीव राज पाकर हमें भूल गया है। जिस बाण से बालि को मारा था उसी से उसको भी मारूंगा। लक्ष्मण जब गुस्सा दिखाते हैं तो सुग्रीव सारे वानरों को सीता की खोज में भेजते है। कहते है कि एक पखवारे में उनकी खबर न लाने पर उन्हें अपने हाथों मारूंगा। वानरों की टोली चलती है तो श्रीराम हनुमान को अपनी अंगूठी देकर सीता का संदेश लेकर जल्दी लौटने को कहतें है।
सभी दक्षिण दिशा में समुद्र के किनारे पहुंचे वहां जटायु का भाई संपाति मिला। उसने सौ योजन देखकर बताया कि सीता लंका में अशोक वाटिका में बैठी कुछ सोच रही हैं। इसके बाद सभी वहां तक पहुंचने का उपाय सोचने लगे। समुद्र लांघने की बात आती है तो सब अपनी अपनी क्षमता बताते हैं। तब जामवंत हनुमान को उनके बल की याद दिलाते हैं। इस पर हनुमान गर्जना करते हैं। यहीं पर आरती के साथ लीला को विश्राम दिया गया। अब 19 वें दिन मंगलवार को हनुमान का सिंधु पार गमन, श्री जानकी दर्शन, लंका दहन की लीला होगी।