डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र पर वादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने जताई आपत्ति, कहा-सिर्फ मछलियां की जाएं शिफ्ट क्योंकि जीव हत्या उचित नहीं
रिपोर्ट : राजेश अग्रहरि
वाराणसी। यूपी सरकार के अधिवक्ता डीजीसी सिविल (DGC Civil) महेंद्र प्रसाद पांडेय (Mahendra Prasad Pandey) के प्रार्थना पत्र पर वाराणसी न्यायालय (Varanasi Court) में दोपहर 2 बजे बहस हुई। इस बहस के दौरान वादी पक्षी के अधिवक्ताओं ने डीजीसी द्वारा वजू खाने की पाइपलाइन (pipeline) को अन्यत्र शिफ्ट करने और नमाजियों के शौचालय में जाने के रास्ते को लेकर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह किसी भी तरह से मान्य नहीं है। वहीं डीजीसी द्वारा तालाब में मौजूद मछलियों (fishes) को अन्यत्र शिफ्ट (shift) करने की बात पर वादी पक्ष ने सहमति जताई है।
इस सम्बन्ध में वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने कोर्ट में आज एक प्रार्थना पत्र दिया था कि कोर्ट द्वारा जिस परिसर को सील किया गया है उसमे नमाजी वजू करते हैं और उसमे पाइप लाइन लगी हुई है। उसके सील होने के बाद वजू (waju) करने में दिक्कत को देखते हुए पॉइप लाइन को शिफ्ट किया जाए और उसी परिसर में नमाजियों के लिए बने शौचालय की इंट्री भी वहीं से है, जिसे सुचारू किया जाए। साथ ही तालाब के अंदर पड़ी मछलियां भी उसी में बंद हैं, जिससे उन्हें भी अन्यत्र शिफ्ट किये जाने की मांग की है। इस मामले में उन्होंने एक कोर्ट कमिश्नर नामित करने की मांग की है।
इसपर दोपहर दो बजे के बाद सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने सुनवाई की। इस दौरान वादी पक्ष ने डीजीसी द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र का पुरजोर विरोध किया। सुधीर कुमार त्रिपाठी ने कहा कि डीजीसी के प्राथना पत्र में वजू खाने में लगी पाइपलाइन को अन्यत्र शिफ्ट किये जाने और शौचालय के लिए रास्ते को लेकर दिए गए प्राथना पत्र का विरोध किया है और कोर्ट से कहा गया है कि यह मान्य नहीं है।
वहीँ अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि इसी प्रार्थना पत्र में मानव निर्मित तालाब में मौजूद मछलियों को अन्यत्र शिफ्ट करने की बात कही गयी है ताकि वो मरने ना पाएं तो वादी पक्ष किसी भी तरह की जीव ह्त्या का विरोधी है इसलिए इसपर हमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने बताया कि कार्य ने बहस सुनने के बाद इस सम्बन्ध में भी आदेश सुरक्षित किया है।
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