Special Story : अल्हड़पन की है पहचान बनारसी गमछा
बनारसी पान, बनारसी साड़ियां, बनारस के खिलौने और बनारस की मिठाइयों का बोलबाला तो पूरी दुनिया में हैं। मगर क्या आप जानते हैं बनारस की एक और चीज है जोकि काफी मशहूर है, जी हां हम बात कर रहे हैं बनारसी गमछे की। शायद ही कोई बनारसी ऐसा हो जो इस शहर की आन, बान और शान समझे जाने वाले बनारसी गमछे के बारे में न जानता हो। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जो कि बनारस के सांसद भी हैं गमछे के काफी शौकीन हैं।
बनारसी पान, बनारसी साड़ियां, बनारस के खिलौने और बनारस की मिठाइयों का बोलबाला तो पूरी दुनिया में हैं। मगर क्या आप जानते हैं बनारस की एक और चीज है जोकि काफी मशहूर है, जी हां हम बात कर रहे हैं बनारसी गमछे की। शायद ही कोई बनारसी ऐसा हो जो इस शहर की आन, बान और शान समझे जाने वाले बनारसी गमछे के बारे में न जानता हो। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जो कि बनारस के सांसद भी हैं गमछे के काफी शौकीन हैं।
बनारसियों को बनारस से जितना प्यार है, उतना ही प्यार गमछे से भी है। सिर्फ इतना ही नहीं बनारसी गमछे को तो आप यहां के अल्हड़पन का ऑफिशियल ड्रेस भी कह सकते हैं। दूसरे शहरों में अगर आप गमछा पहनकर सड़क पर उतर जाएं तो शायद लोग आपको पागल समझ लें, मगर बनारस में तो आप एक गमछा पहनकर पूरा शहर घूम सकते हैं और मजाल है जो कोई आपको टोक दे। यहां बड़े से बड़े प्रोफेसर, साहित्यकार, कलाकार और व्यापारी भी बनारसी गमछा पहनकर मुंह में पान घुलाए, देश दुनिया के मुद्दों पर अपनी राय देता मिल जाएगा। तो आज लाइव वीएनएस की टीम आपको रूबरू कराएगी बनारसी गमछे की कुछ अनूठी खासियतों से। गौर फरमाइयेगा...
दरअसल, बनारसी गमछे की बात की जाये तो ये एक ऐसा कपड़ा है, जिसे यहां के गरीब से लेकर धन्ना सेठ रईस तक सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इन गमछों को पहनकर ना सिर्फ पूजा-पाठ किया जा सकता है, बल्कि सड़क पर तफरीह से लेकर घर के अंदर कम्फर्ट फील करने वालों को भी गमछा बेहद प्रिय होता है। धूप में मुंह ढंकना हो, कोरोना से बचना हो या गंगा जी नहाने जाना हो... बस एक गमछा ही काफी है।
बनारस के चौक एरिया में आपको गमछे की कई दुकानें मिलेंगी, जहाँ से आप गमछे की खरीददारी होलसेल रेट में भी कर सकते हैं। साथ ही आपको इन दुकानों में गमछे की अलग-अलग वैरायटी भी मिल जाएगी, जिसमें बनरसी गमछे के अलावा, बंगाली, आसामी, साउथ इंडियन और उड़ीसा के गमछे बारहों महीने मिल जायेंगे। साथ ही विन्ध्याचल की चुनरी के डिजाइन वाले गमछे भी बनारस में खूब बिकते हैं। ये गमछे बड़े से बड़े मिनिस्टर और उद्योगपतियों को भी खूब भाती हैं और वे जब बनारस आते हैं तो इन गमछों को अपने साथ ले जाना नहीं भूलते।
बनारस में लाल, नीली, हरी और सफेद रंग के गमछों की मांग सबसे ज्यादा रहती है। लाल, हरे रंग के गमछे कमर के नीचे पहने जाते हैं, जबकि सफेद गमछे को कंधे पर रखने और मुंह ढंकने के लिये ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। गर्मी के दिनों में सफेद गमछों की मांग सबसे ज्यादा होती है। बनारस में गर्मी के दिनों में आप लोगों को मुँह पर सफेद गमछा बांधे सड़कों पर आसानी से देख सकते हैं। इन गमछों की कीमत 30 रूपये से लेकर 150 रूपये तक होती है और ये 10 तरह की वैरायटी में आपको आसानी से मिल जाएगी। वही इसकी साइज 2 गज यानि 170 सेंटीमीटर होती है जो स्टेंडर्ड साइज मानी गयी है।
अब आप सोच रहे होंगे कि बनारसी गमछे आखिर बनते कहां हैं। तो हम आपको बता दें कि ये गमछे जलालपुर से बनकर बाजारों में बिकने के लिए आते हैं। जिसमें लाल, हरा और नीले रंग का गमछा ज्यादा बिकता है और इन गमछों का ज्यादातर इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी किया जाता है। वहीं एक और गमछा है जयपुरिया। ये जयपुरिया गमछा रामनगर में होने वाले विश्वप्रसिद्ध रामलीला के किरदार पहनते हैं। बनारस में कॉटन, पोलिस्टर, जयपुरी और साउथ के गमछे की बिक्री और डिमांड पूरे साल रहती है।
बनारस के दुकानदार बताते हैं कि होली के पहले तक वे गमछों की बिक्री कर देते हैं। ये गमछे देश के कोने कोने में बिकने के लिए चले जाते हैं। बिहार, बंगाल, पंजाब जैसे राज्यों में भी बनारस के गमछों की खूब डिमांड है।
चौक क्षेत्र में ऐसी कई दुकाने हैं जहां पर पीढ़ी दर पीढ़ी गमछे का ही काम किया जाता है। ऐसी ही एक दुकान हमें मिली जो चार पीढ़ी से गमछे का ही काम कर रही है। ये दुकान150 साल पुरानी है। जो रामचंद्र जायसवाल एंड संस् के नाम से जानी जाती है। इस दुकान पर आपको गमछे की कई रेंज मिल जाएगी। और आप यहाँ से सस्ते और किफायती दाम में गमछे खरीद सकते हैं।
बनारस में भले ही बड़े बड़े शोरूम और मॉल में डिजायनर कपड़ों की पूरी रेंज मिलती हो मगर एक पक्के बनारसी को जो आनंद गमछे में मिलता है वो शायद ही किसी महंगे से महंगे कपड़े में मिलता होगा। बनारस का असली रंग अगर आपको देखना हो तो बनारस के घाटों, यहां की गलियों और पुराने बाजारों में घूम जाइये। असली बनारसी आपको गमछा लपेटे मिल जी जाएगा। ये वो शहर है जहां बड़े से बड़ा करोड़पति सेठ साहुकार भी गमछा लपेटे घूमते मिल जाएगा। यही वो बनारसी फक्कड़पन है जिसे रूबरू कराता है हमारे बनारस का गमछा।
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