नई दिल्ली : अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका

ज्ञानवापी मस्जिद-शृंगार गौरी सर्वे (Gyanvapi Masjid-Shringar Gauri Survey) मामले में नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को सिविल कोर्ट (Civil Court) के जज द्वारा दिए गए आदेश के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intejamiya Masjid Committee) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका (Petition) दायर की गयी है। प्रतिवादी संख्या चार ने सीजेआई जस्टिस एनवी रमन्ना (CJI Justice NV Ramanna) की बेंच पर इस मामले की मेंशनिंग की है और कहा है कि सिविल कोर्ट ने जो ज्ञानवापी सर्वे (Gyanvapi Survey) का आदेश दिया है उसपर रोक लगायी जाए। 
 

नई दिल्ली/वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद-शृंगार गौरी सर्वे (Gyanvapi Masjid-Shringar Gauri Survey) मामले में नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को सिविल कोर्ट (Civil Court) के जज द्वारा दिए गए आदेश के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intejamiya Masjid Committee) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका (Petition) दायर की गयी है। प्रतिवादी संख्या चार ने सीजेआई जस्टिस एनवी रमन्ना (CJI Justice NV Ramanna) की बेंच पर इस मामले की मेंशनिंग की है और कहा है कि सिविल कोर्ट ने जो ज्ञानवापी सर्वे (Gyanvapi Survey) का आदेश दिया है उसपर रोक लगायी जाए। 

सूत्रों की मानें तो इस मामले में मुख्य न्यायधीश (Chief Justice) ने प्रतिवादी संख्या-4 अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Intejamiya Masjid Committee) को साफ किया है कि यह मामला एकदम अचानक से मेरे सामने आया है। इस सम्बन्ध में सभी पेपर पढ़ने के बाद हीसुनवाई हो सकती है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगले हफ्ते तक सुनवाई करने के संकेत दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ज्ञानवापी सर्वे (Gyanvapi Survey) को रोकने का भी कोई आदेश नहीं दिया है। 

बता दें कि गुरुवार को प्रतिवादी संख्या-4 की याचिका संख्या 56 ग और वादी संख्या 1 और 3 की याचिका संख्या 61 ग पर  आदेश देते हुए कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) बदलने से जहां मना किया था वहीं एक विशेष और एक सहायक कोर्ट कमिश्नर अतिरिक्त नियुक्त किये थे। वहीं 61 ग की सुनवाई में डीजीपी और चीफ जस्टिस के सुपरविजन में सर्वे का कार्य कराने का आदेश दिया था ताकि कोई भी अधिकारी टाल-मटोल न कर पाए। 

इस आदेश के बाद प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता अभयनाथ यादव (Advocate Abhaynath Yadav) ने इस आदेश को चैलेन्ज देने की बात कही थी। जानकारों की माने तो लीगल रेमिडी के अनुसार सिविल कोर्ट में यदि की को न्याय नहीं मिलता तो वह पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट जाता है लेकिन ऐसा लगता है कि प्रतिवादी पक्ष को यह लगा है कि सुप्रीम कोर्ट ही इसमें सही निणय दे सकता है इसलिए वो सीधे ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। 

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