काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष ने किया बड़ा दावा - जिस जगह के लिए वादी पक्ष लड़ रहे हैं वहां शृंगार गौरी के मंदिर पर लगाया प्रश्नचिह्न 

पूरे देश की निगाहें इस समय ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और शृंगार गौरी सर्वे (Shringar Gauri Survey) के मामले पर है। इसी बीच काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (Kashi Vishwanath Temple Trust) के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी (Acharya Ashok Dwivedi) के एक बयान ने शृंगार गौरी (Shringar Gauri Survey) के स्थान को लेकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने जिस जगह के लिए वादी पक्ष लड़ रहे हैं वहां शृंगार गौरी (Shringar Gauri) के मंदिर पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि शृंगार गौरी (Shringar Gauri) वहां है यह शिवसेना (Shiv Sena) की स्थापना के बाद मुझे पता चला। अशोक द्विवेदी ने बताया कि शास्त्रों में मां गौरी को जल चढ़ाना मना है और ये (शिवसैनिक) हर साल जल चढाने की बात करते हैं और अब इनका साथ विश्व हिन्दू परिषद् (Vishwa Hindu Parishad) भी दे रहा है।
 

वाराणसी। पूरे देश की निगाहें इस समय ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और शृंगार गौरी सर्वे (Shringar Gauri Survey) के मामले पर है। इसी बीच काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास (Kashi Vishwanath Temple Trust) के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी (Acharya Ashok Dwivedi) के एक बयान ने शृंगार गौरी (Shringar Gauri Survey) के स्थान को लेकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने जिस जगह के लिए वादी पक्ष लड़ रहे हैं वहां शृंगार गौरी (Shringar Gauri) के मंदिर पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि शृंगार गौरी (Shringar Gauri) वहां है यह शिवसेना (Shiv Sena) की स्थापना के बाद मुझे पता चला। अशोक द्विवेदी ने बताया कि शास्त्रों में मां गौरी को जल चढ़ाना मना है और ये (शिवसैनिक) हर साल जल चढाने की बात करते हैं और अब इनका साथ विश्व हिन्दू परिषद् (Vishwa Hindu Parishad) भी दे रहा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने काशी के मंदिरों के इतिहास से जुडी दो किताबें जिसमें से एक को स्वयं स्वामी करपात्री जी महराज के शिष्य ने लिखी है, जिसका नाम काशी गौरव है तथा दूसरी किताब बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा छपी वाराणसी वैभव का हवाला दिया है। उन्होंने कोर्ट केस के वादियों को सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ऐसा न करने की नसीहत दी है और बैठकर पहले यह तय करने को कहा है कि शृंगार गौरी का मंदिर कहाँ स्थित हैं। 

शिवसेना ने बताया शृंगार गौरी का स्थान 
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि हमारा परिवार यहाँ 800 साल से हैं। मैं खुद अपने बचपन से लेकर शिवसेना की स्थापना के पहले तक नहीं जानता था कि शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद के क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि शिवसेना वाले वहां कुछ आंदोलन की रूपरेखा खींच रहे थे। तो पहली बार पता चला की लोग शृंगार गौरी को जल चढ़ाना चाहते हैं। गौरी को जल चढ़ाना वैसे भी गलत है क्योंकि गौरी को जल नहीं चढ़ता है। फिर धीरे-धीरे विश्व हिन्दू परिषद् शृंगार गौरी का नाम लेने लगा। 

स्वामी करपात्री जी के शिष्य ने बांसफाटक में बताया है माता का मंदिर 
उन्होंने कहा कि बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के द्वारा प्रकाशित वाराणसी वैभव पुस्तक है यदि हम उसको सत्य मानते हैं तो काशी विश्वनाथ मंदिर के ईशान कोण में जहां अन्नपूर्णा मंदिर है वहां शृंगार गौरी का स्थापित होना ग्रन्थ में अंकित है। वहीं धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के शिष्य स्वामी शिवानंद सरस्वती ने अपनी पुस्तक काशी गौरव में शृंगार गौरी का उल्लेख किया है कि ये मंदिर सीके 3/58 मोहल्ला बांसफाटक में हैं। 

सत्य के मार्ग से चलेंगे तो शिव मिलेंगे 
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि बांसफाटक के सीके 3/58 और काशी विश्वनाथ मंदिर के ईशान कोण में मौजूद मां अन्नपूर्णा मंदिर में शृंगार गौरी के होने की बात दोनों किताबों में कही गयी हैं। अब ये वादी लोग बताएं की शृंगार गौरी का मंदिर यहां होने का प्रमाण उनके पास क्या है और कहाँ से आया है। उन्होंने कहा कि हम सत्य के मार्ग से चलेंगे तो शिव तक पहुंचेंगे और कब तक पहुंचेंगे या हमारा कालचक्र बताएगा। उन्होंने वादी पक्ष को चेताते हुए कहा कि हम सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दो-चार मुकदमे दायर करके अपना सीना ठोकें की हमने विश्वनाथ मंदिर को प्राप्त करने के लिए मुकदमा दर्ज कर दिया, मैं इससे सहमत नहीं हूं। 

विद्वानों की एक कमेटी बने और तय हो कि किसे मानना है शृंगार गौरी 
उन्होंने कहा कि काशी के विद्वान् और मानिंद लोगों की एक कमेटी बने और यह तय हो कि हम किसे शृंगार गौरी कहें। इन दूर-दराज के लोगों को मुकदमा करके सिर्फ अखबार और चैनलों पर आने का बुखार चढ़ा है उनकी वजह से कालान्तर में हमें नुकसान ही होगा। उन्होंने कहा कि यह सच है कि हमारे शिवालय को तोड़कर ही वहां मस्जिद बनी है पर शृंगार गौरी को लेकर हमारा मत अभी सही नहीं है। हमारा उन लोगों से निवेदन है कि वो शृंगार गौरी की प्रमाणिकता पहले सबको बताएं।

<a href=https://vimeo.com/649549966?autoplay=1&muted=1><img src=http://i.vimeocdn.com/video/1309165439-c481c0cb74c03f31d72e9164737e4a8878d9a2dcc244a02d8_640 alt=""><span><div class="play-button"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">