वाराणसी में अंधाधुंध भूजल दोहन कर रहे 80 संस्थान, एनजीटी ने जारी की अंतिम नोटिस

अंधाधुंध दोहन की वजह से भूजल स्तर दिनोंदिन नीचे गिर रहा है। जिले के 80 संस्थान नियमों को ताख पर रखकर तेजी से भूजल का दोहन कर रहे हैं। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संस्थानों को अंतिम नोटिस जारी की है। यदि संस्थानों ने एनओसी नहीं प्राप्त की तो बोरवेल बंद करा दिए जाएंगे। वहीं सबमर्सिबल पंप भी जब्त कर लिए जाएंगे। नियमों की अनदेखी पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना या जेल हो सकती है।
 

वाराणसी। अंधाधुंध दोहन की वजह से भूजल स्तर दिनोंदिन नीचे गिर रहा है। जिले के 80 संस्थान नियमों को ताख पर रखकर तेजी से भूजल का दोहन कर रहे हैं। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संस्थानों को अंतिम नोटिस जारी की है। यदि संस्थानों ने एनओसी नहीं प्राप्त की तो बोरवेल बंद करा दिए जाएंगे। वहीं सबमर्सिबल पंप भी जब्त कर लिए जाएंगे। नियमों की अनदेखी पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना या जेल हो सकती है। 

एनजीटी की ओर से पिछले दिनों वाराणसी के 150 संस्थानों को नोटिस जारी की गई थी। इसमें होटल, रेस्तरां समेत अन्य संस्थान शामिल रहे। कुछ संस्थान संचालकों ने निवेश मित्र पोर्टल पर जाकर आनलाइन आवेदन कर एनओसी प्राप्त कर ली। शेष ने अभी तक इसके लिए कोई पहल नहीं की। डीएम की ओर से गठित टास्क फोर्स ने जांच की। इसके बाद 80 संस्थानों को नोटिस जारी की गई। 

भूजल के सहायक अभियंता राहुल शर्मा ने बताया कि कारोबारी एनओसी के लिए भूगर्भ जल विभाग की वेबसाइट या निवेश मित्र पोर्टल पर आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। बहुतायत ने आवेदन कर इसके लिए एनओसी ली है। एनओसी के लिए आवेदन करने के बाद जांच की जाती है। तीन-चार चक्र की जांच के बाद रेट निर्धारित किया जाता है। यदि क्रिटिकल जोन में जल दोहन किया जा रहा है तो एक रुपये 10 पैसा, वरना 60 पैसा प्रति लीटर की दर से पांच साल का पैसा जमा करना होता है। इसके बाद एनओसी जारी की जाती है।