रविदास मंदिर का 61वां स्थापना दिवस, श्रद्धा, भक्ति और भव्यता का अद्भुत संगम, संत शिरोमणि का आशीर्वाद लेने उमड़े रैदासी 

संत शिरोमणि रविदास मंदिर के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर स्थित रविदास मंदिर में भव्य आयोजन किया जा रहा है। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेने के लिए पहुंच चुके हैं। मंदिर को भव्य रूप से विद्युत झालरों और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है, जिससे संपूर्ण परिसर दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया है।
 

वाराणसी। संत शिरोमणि रविदास मंदिर के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर स्थित रविदास मंदिर में भव्य आयोजन किया जा रहा है। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लेने के लिए पहुंच चुके हैं। मंदिर को भव्य रूप से विद्युत झालरों और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है, जिससे संपूर्ण परिसर दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया है।


संत शिरोमणि के दर्शन को उमड़े रैदासी 
सुबह से ही मंदिर परिसर में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए उमड़ पड़े हैं। संगत द्वारा अमृतवाणी का पाठ किया गया और मंदिर के मुख्य प्रांगण में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। संत रविदास मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी के एल सरोआ ने बताया कि यह स्थापना दिवस बेहद खास है, और इसे भव्यता के साथ मनाने की तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं।


निरंजन दास ने संत शिरोमणि का लिया आशीर्वाद
इस विशेष अवसर पर संत निरंजन दास का आगमन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत शुभ माना गया। वे रविवार को मंदिर पहुंचे, जहां उनका पुष्पवर्षा और माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। जैसे ही वे वाहन से उतरे, भक्तों की भीड़ जयघोष करते हुए दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। संत निरंजन दास ने सबसे पहले मंदिर में गुरु रविदास जी के चरणों में प्रणाम कर आशीर्वाद लिया और फिर अपनी गद्दी पर आसीन हुए। उनके अनुयायियों ने उनसे व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद प्राप्त किया।


1965 में रखी गई थी मंदिर की नींव
ट्रस्ट से जुड़े निरंजन दास चीमा ने जानकारी दी कि संत सरवन दास जी महाराज ने 1965 में इस मंदिर की नींव रखी थी, और सात वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद 1972 में यह मंदिर पूर्ण रूप से तैयार हुआ। तब से लेकर अब तक यह मंदिर रैदासी समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
संत निरंजन दास दो दिनों तक सीरगोवर्धनपुर में रुकेंगे और सोमवार 16 जून को गुरु दक्षिणा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से पहुंचे भक्त संत के चरणों में श्रद्धा के साथ दक्षिणा अर्पित करेंगे।

विदेश से भी पहुंचे अनुयायी
विदेशी अनुयायियों की मौजूदगी भी आयोजन को विशेष बनाती है। नीदरलैंड से आईं चरण बदन बंगा ने बताया कि वे हर वर्ष गुरु दक्षिणा के इस विशेष आयोजन में भाग लेने आती हैं। उन्होंने कहा कि गुरु जी का मंदिर भव्य और शांतिपूर्ण है, जहां आकर मन को अत्यंत शांति मिलती है। पंजाब से अपने परिवार के साथ पहुंची श्रद्धालु सोनी ने बताया, “हमारा विश्वास है कि यहां आने से जीवन में सुख, शांति और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। यहां की संगत और वातावरण अत्यंत पावन है।” उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर और आस-पास के क्षेत्र का लगातार विकास हो रहा है।

स्वर्ण मंडित है मंदिर का शिखर
मंदिर की संपत्ति की बात करें तो ट्रस्ट के अनुसार, वर्तमान में संत रविदास मंदिर के पास लगभग 300 किलो सोना है। इसमें सोने की पालकी, छत्र, मुकुट, स्वर्ण कलश और दीप शामिल हैं। मंदिर का शिखर भी स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। दरवाजों पर भी सोने की कलाकृतियां जड़ी हुई हैं। भक्त हर साल मंदिर को करोड़ों रुपये का दान भी देते हैं।

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