काशी विद्यापीठ में 46वां दीक्षांत समारोह: 97 हजार से ज्यादा डिग्रियां हुई ऑनलाइन, 18 छात्रों को मिले गोल्ड मेडल, राज्यपाल बोलीं – काशी विद्यापीठ में उपस्थित होना गौरव की बात

 
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बुधवार को 46वां दीक्षांत समारोह भव्यता से आयोजित किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। समारोह में पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन के सीएमडी आर. के. त्यागी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की, जबकि उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। 

समारोह की शुरुआत शैक्षिक शिष्ट यात्रा के साथ हुई, जिसमें राष्ट्रगान और महात्मा गांधी, शिव प्रसाद गुप्त और आचार्य भगवान दास के चित्रों पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर छात्राओं ने मंगलाचरण और विश्वविद्यालय गीत प्रस्तुत किया, जिसने समारोह को और अधिक गरिमा प्रदान की।


राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय की 103 साल पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए इसे एक गर्व का विषय बताया। उन्होंने सभी डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी और विशेष रूप से छात्राओं की प्रगति की सराहना की। उनके अनुसार, इस वर्ष गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले छात्रों में छात्राओं की संख्या अधिक है, जो कि शिक्षा में महिलाओं की सशक्त उपस्थिति का प्रतीक है।

राज्यपाल ने इस अवसर पर भारत सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे विभिन्न प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस साल शिक्षा बजट 1.48 लाख करोड़ रुपये का है, जिससे सभी छात्रों को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में एक करोड़ भारतीय छात्रों को देश की शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर दिए जाएंगे, जो उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। 

प्रौद्योगिकी और कौशल विकास पर जोर

राज्यपाल पटेल ने अपने संबोधन में प्रौद्योगिकी के सही इस्तेमाल पर बल दिया और कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग सार्थक उद्देश्यों के लिए होना चाहिए। उन्होंने ऊर्जा और जल संरक्षण के महत्व पर भी जोर दिया, जिसमें विद्यापीठ द्वारा की जा रही प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा, राज्यपाल ने कौशल विकास के लिए मिलने वाले 7.5 लाख रुपये के ऋण का अधिकतम लाभ उठाने का आह्वान किया, जिससे छात्र अपने करियर में आगे बढ़ सकें। 

बुद्ध के समय से काशी शिक्षा का केंद्र रही है: मुख्य अतिथि

मुख्य अतिथि आर. के. त्यागी ने भी छात्रों को प्रेरित किया और उन्हें बुद्ध के समय से काशी की शिक्षा परंपरा का हिस्सा होने पर गर्व महसूस करने को कहा। उन्होंने कहा कि वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण के बाद ही विद्यार्थियों ने यह मुकाम हासिल किया है। उन्होंने शिक्षा को राष्ट्र के उत्थान का सबसे महत्वपूर्ण साधन बताते हुए नेल्सन मंडेला के प्रसिद्ध कथन को उद्धृत किया, "शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।" 

उन्होंने विद्यापीठ के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आंदोलन का केंद्र होने और भारतीय समाज में इसके योगदान का जिक्र किया। उन्होंने विद्यार्थियों को आगे के जीवन में सही रास्ते पर मजबूती से चलने और केवल धन की प्राप्ति को सफ़लता न मानते हुए समाज को योगदान देने की सलाह दी। 

काशी की शिक्षा परंपरा अत्यंत प्राचीन : शिक्षा मंत्री

समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को बधाई दी और काशी की प्राचीन शिक्षा परंपरा का उल्लेख करते हुए इसे ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से देश ने वैश्विक स्तर पर एक उच्च स्थान प्राप्त किया है। उपाध्याय ने राज्यपाल के शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और उत्तर प्रदेश को शिक्षा का हब बताया, जहां सर्वाधिक नैक ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय स्थित हैं। 

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री का आह्वान

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने भी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उन्हें चुनौतियों का सामना करने और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान ही असली शक्ति है, और इसी के बल पर हम भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। 

ऑनलाइन हुईं 97 हजार से अधिक डिग्रियां

समारोह में कुल 97,252 डिग्रियां और उपाधियां प्रदान की गईं, जिन्हें डिजिलॉकर पर अपलोड किया गया। स्नातक स्तर पर 78,196 और स्नातकोत्तर स्तर पर 19,056 डिग्रियां वितरित की गईं। इसके अलावा, 53 छात्रों और 45 छात्राओं को पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया गया। 

कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने 18 गोल्ड मेडल विजेताओं को सम्मानित किया, जिनमें स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्र शामिल थे। इसके अलावा, उत्कृष्ट खिलाड़ी सौरभ कुमार यादव (किक बॉक्सिंग) और आकांक्षा वर्मा (कराटे) को भी स्वर्ण पदक से नवाजा गया।

सामाजिक सेवा और आंगनवाड़ी के उत्थान की पहल

राज्यपाल द्वारा सोनभद्र जिले की 10 विशिष्ट आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मानित किया गया, जिसमें जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी भी उपस्थित रहे। होप वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा संचालित ग्रीन आर्मी के माध्यम से नशामुक्ति के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की गई। इसके अलावा, विश्वविद्यालय द्वारा सोनभद्र के आंगनवाड़ी केंद्रों को 100 किट प्रदान की गईं।

समारोह का समापन कुलपति प्रो. आनंद त्यागी द्वारा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के उल्लेख और कुलाधिपति के प्रति आभार प्रकट करने के साथ हुआ। कार्यक्रम के अंत में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर 'स्मारिका' और "गांधी, अंबेडकर और दीनदयाल" पुस्तक का विमोचन किया गया।