37 साल पुराने सिकरौरा सामूहिक हत्याकांड में बृजेश सिंह हाईकोर्ट से भी बरी 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया से माननीय बने पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह को बड़ी राहत देते हुए 37 साल पुराने सिकरौरा नरसंहार मामले में दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने चंदौली (तत्कालीन वाराणसी) के बलुआ घाट अंतर्गत सिकरौरा गांव में 37 साल पहले हुए एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में बृजेश सिंह को बरी करने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। 
 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया से माननीय बने पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह को बड़ी राहत देते हुए 37 साल पुराने सिकरौरा नरसंहार मामले में दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने चंदौली (तत्कालीन वाराणसी) के बलुआ घाट अंतर्गत सिकरौरा गांव में 37 साल पहले हुए एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में बृजेश सिंह को बरी करने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। 

चार दोषियों को उम्रकैद की सजा 
हाईकोर्ट ने मामले में अधीनस्थ अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बृजेश सिंह समेत छह आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए सजा देने से इनकार कर दिया है। हालांकि इसी मामले में हाईकोर्ट ने बृजेश सिंह के साथ आरोपी बनाये गये चार लोगों देवेन्द्र सिंह, वकील सिंह, राकेश सिंह और पंचम सिंह को उम्रकैद और 75 हजार रुएप के जुर्माने की सजा दी है। ये चारों आरोपी भी बृजेश सिंह के साथ अधीनस्थ कोर्ट से बरी हो गये थे। 

तीन आरोपियों की पहले ही हो चुकी है मृत्यु 
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इन चारों आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त आधार है, इसलिए इन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जाती है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि इन चारों आरोपियों को छोड़ा जाना सही नहीं था। एक ही परिवार के सात लोगों की सामूहिक हत्या में इन्हीं चारों आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जबकि तीन अन्य आरोपियों की मृत्यु हो चुकी है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने मामले में पीड़ित परिवार की हीरावती एवं राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा पीड़ित परिवार
अपील पर गत नौ नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। हीरावती और राज्य सरकार ने अपील दाखिल कर ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं पीड़बित परिवार के दिनेश यादव ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले को लेकर जाएंगे। 

क्या था मामला
बता दें कि चंदौली (तत्कालीन वाराणसी) के बलुआ थानाक्षेत्र के सिकरौरा गांव के रामचंद्र यादव और उसी गांव के पंचम सिंह के बीच जमीनी विवाद और प्रधानी को लेकर अदावत चल रही थी। 10 अप्रैल 1986 को हुए नरसंहार में हीरावती देवी के पति, दो देवर और चार मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। जबकि हीरावती की बेटी शारदा घायल हुई थी। मामले में चार नामजद व अन्य अज्ञात हत्यारों के खिलाफ बलुआ थाने में आईपीसी की धारा 148, 149, 302, 207, 120बी एवं आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत केस दर्ज कराई गई थी।