वार्षिकी : साल 2025 में उत्तराखंड के स्वास्थ्य योद्धाओं ने रचा सेवा का इतिहास
देहरादून, 31 दिसंबर (हि.स.)। हिमालय सिर्फ़ पहाड़ों की श्रृंखला नहीं है, यह सहनशक्ति की परीक्षा भी है। वर्ष 2025 में उत्तराखंड ने इसी परीक्षा को स्वास्थ्य सेवाओं के मोर्चे पर पूरी मजबूती से पास किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देशन में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था ने वह कर दिखाया, जो अक्सर दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों में असंभव माना जाता है।
चारधाम यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की धड़कनों की निगरानी हो या मॉनसून की विभीषिका में फंसी जिंदगियों को बचाने की चुनौती—स्वास्थ्य विभाग हर मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा दिखा। यह कहानी केवल सरकारी उपलब्धियों की सूची नहीं है। यह उन डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों, एंबुलेंस ड्राइवरों और फील्ड स्टाफ की कहानी है, जिन्होंने बर्फ, बारिश, अंधेरे और जोखिम के बीच सेवा को अपना धर्म बनाया। वर्ष 2025, उत्तराखंड के लिए सिर्फ़ एक कैलेंडर वर्ष नहीं, बल्कि “हेल्थ हीरो ईयर” बनकर इतिहास में दर्ज हुआ।
आस्था के मार्ग पर स्वास्थ्य सुरक्षा का अभेद्य कवच
वर्ष 2025 की चारधाम यात्रा ने नया रिकॉर्ड बनाया। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में 47 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करना किसी सैन्य अभियान से कम नहीं था। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा शुरू होने से पहले ही बहुस्तरीय रणनीति तैयार की। यात्रा से पूर्व 13 भाषाओं में हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई, जिसमें हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, ऊँचाई से जुड़ी बीमारियों और आपात स्थितियों में सावधानियों की जानकारी दी गई। यह कदम पूर्व वर्षों की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक प्रभावी साबित हुआ। देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और पौड़ी को ट्रांजिट मेडिकल हब के रूप में विकसित किया गया, ताकि यात्रा से पहले ही यात्रियों की स्क्रीनिंग और काउंसलिंग हो सके।
49 स्थायी इकाइयां, 20 मोबाइल रेस्पॉन्स पोस्ट
चारधाम यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए 49 स्थायी चिकित्सा इकाइयों को सक्रिय किया गया। इनके साथ 20 मोबाइल रेस्पॉन्स पोस्ट तैनात रहीं, जो दुर्गम और जोखिम भरे मार्गों पर तत्काल चिकित्सा सहायता देती रहीं। स्क्रीनिंग कियोस्क की संख्या 50 से बढ़ाकर 57 की गई। हरिद्वार-ऋषिकेश में दो-दो नए कियोस्क और पौड़ी के विकासनगर व कलियासौड़ में एक-एक नया कियोस्क स्थापित किया गया। इन केंद्रों पर कुल 10,69,792 यात्रियों की स्वास्थ्य जांच की गई, जिनमें 28,323 सह-रोगी (को-मॉर्बिड) चिन्हित हुए। समय रहते काउंसलिंग और दवाइयों ने कई संभावित आपात स्थितियों को टाल दिया।
बर्फीली ऊंचाइयों पर आधुनिक चिकित्सा की जीत
केदारनाथ धाम में शुरू हुआ 17 बेड का अत्याधुनिक अस्पताल यात्रा 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धियों में रहा। ऑक्सीजन थेरेपी, आईसीयू और इमरजेंसी सुविधाओं से लैस इस अस्पताल ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को नया जीवन दिया। मानव संसाधन की बात करें तो स्थानीय स्तर पर 31 विशेषज्ञ डॉक्टर, 200 चिकित्सा अधिकारी और 381 पैरामेडिकल कर्मी तैनात रहे।
रोस्टर सिस्टम के तहत अन्य जिलों से 24 डॉक्टर, 47 विशेषज्ञ और 35 पैरामेडिकल स्टाफ की अतिरिक्त तैनाती की गई। भारत सरकार से 40 विशेषज्ञ और राज्य मेडिकल कॉलेजों से 10 डॉक्टर भी इस मिशन में शामिल रहे। यह वास्तव में एक नेशनल हेल्थ ब्रिगेड थी, जो 24 घंटे सात दिन अलर्ट मोड पर काम कर रही थी।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ विनोद पोखरियाल