वायनाड में पांचवें दिन सेनाओं ने तैनात कीं मलबे से शव खोजने के लिए टीमें

 

- बेली ब्रिज का निर्माण करने से बचाव अभियान में काफी तेजी आई

- घायलों के लिए चूरलमाला में एक चिकित्सा चौकी स्थापित की गई

नई दिल्ली, 03 जुलाई (हि.स.)। वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में पांचवें दिन शनिवार को भी भारतीय सेनाओं का बचाव और राहत अभियान चल रहा है। प्रभावित लोगों को भोजन सामग्री पहुंचाने के साथ ही नौसेना की कई टीमों को जीवित बचे लोगों की खोज, मलबे को साफ करने और शवों को बरामद करने के लिए तैनात किया गया है। भारतीय सेना के चूरलमाला में इरुवानिपझा नदी पर बेली ब्रिज का निर्माण करने से बचाव अभियान में काफी तेजी आई है।

भारतीय नौसेना ने खराब मौसम और दुर्गम भूभाग के बावजूद आपदा से प्रभावित स्थानीय समुदाय की सहायता करने के लिए एझिमाला से आईएनएस जमोरिन के जरिए अतिरिक्त कर्मियों, स्टोर, संसाधनों और आवश्यक आपूर्ति को अंजाम दिया है। वर्तमान में 78 नौसेना कर्मी चल रहे बचाव अभियान में शामिल हैं। इन टीमों को चूरलमाला और मुंडक्कई क्षेत्र के कई स्थानों पर तैनात किया गया है और वे आपदा राहत एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों को भोजन सामग्री की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने के लिए एक टीम तैनात की गई है जबकि अन्य टीमों को जीवित बचे लोगों की खोज, मलबे को साफ करने और शवों को बरामद करने के लिए तैनात किया गया है। घायलों को चिकित्सा सहायता देने के लिए चूरलमाला में एक चिकित्सा चौकी स्थापित की गई है। नौसेना के तीन अधिकारियों और 30 नौसैनिकों की एक टीम ने भूस्खलन से अलग-थलग पड़े चूरलमाला और मुंडक्कई क्षेत्रों को जोड़ने वाले बेली ब्रिज के निर्माण में भी मदद की है।

नौसेना के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बेली ब्रिज के निर्माण में लगने वाले सामानों को इकट्ठा करने और पुल बनाने में भारतीय सेना के प्रयासों को आगे बढ़ाया। यह पुल प्रभावित इलाकों में भारी मशीनरी और एम्बुलेंस की आवाजाही को सक्षम बनाने के साथ ही रसद पहुंचाने में भी रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य कर रहा है। कालीकट से संचालित आईएनएस गरुड़ के भारतीय नौसेना के उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) ने शुक्रवार को जीवित बचे लोगों और शवों का पता लगाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों की हवाई टोह ली।

नौसेना के हेलीकॉप्टर ने बचाव उपकरणों के साथ 12 राज्य पुलिस कर्मियों को आपदा क्षेत्र में पहुंचाया, जो अत्यंत दुर्गम थे और वहां सड़क मार्ग से पहुंचना संभव नहीं था। कम दृश्यता और चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरी गई। भारतीय नौसेना फंसे हुए लोगों को जल्दी से जल्दी निकालने, बुनियादी सुविधाओं और चिकित्सा सहायता देने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ तालमेल बनाकर काम कर रही है।

भारतीय सेना के इंजीनियर टास्क फोर्स ने चूरलमाला में इरुवानिपझा नदी पर बेली ब्रिज का निर्माण तेजी से किया, जिससे वायनाड में बचाव अभियान में काफी तेजी आई। बचाव अभियान को गति देने के लिए डॉग स्क्वॉड और भारी मिट्टी हटाने वाले उपकरणों सहित सभी आवश्यक बचाव उपकरणों से लैस दस विशेष टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों ने सुबह-सुबह छह निर्दिष्ट क्षेत्रों पुंचिरिमट्टम, मुंडेक्कई, स्कूल क्षेत्र, चूरलमाला शहर, गांव क्षेत्र और डाउनस्ट्रीम में तलाशी अभियान शुरू किया।

वायनाड भूस्खलन के 5वें दिन भी छह निर्दिष्ट क्षेत्रों में खोज और बचाव अभियान जारी रहा। केरल सरकार के अनुरोध पर सेना की उत्तरी कमान से ज़ेवर रडार और दिल्ली के तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू ऑर्गनाइजेशन से चार रीको रडार और ऑपरेटरों को आज वायु सेना के विमान से वायनाड ले जाया जा रहा है। दक्षिणी वायु कमान के एओसी-इन-सी एयर मार्शल बी मणिकांतन और पैंगोडे मिलिट्री स्टेशन के स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर सलिल ने बाढ़ प्रभावित वायनाड का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का आकलन किया।

प्रादेशिक सेना 122 टीए (मद्रास) के लेफ्टिनेंट कर्नल (ऑनरी) मोहन लाल ने जीवित बचे लोगों और बचाव दल के सदस्यों से बातचीत की। उन्होंने केरल और कर्नाटक क्षेत्र के जीओसी मेजर जनरल वीटी मैथ्यू से बातचीत की और उन्हें मालाबार टेरियर्स के सीओ कर्नल नवीन बेनजीत ने स्थिति के बारे में जानकारी दी।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम