'चाणक्य रक्षा संवाद' में दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत में उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर होगी चर्चा
- पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे
- ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और अमेरिका सहित विभिन्न देशों की होगी भागीदारी
नई दिल्ली, 02 नवंबर (हि.स.)। दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत में उभरती सुरक्षा चुनौतियों का विश्लेषण करने के लिए भारतीय सेना की मेजबानी में 3-4 नवंबर को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में ‘चाणक्य रक्षा संवाद’ का पहला संस्करण होगा। इस कार्यक्रम में थिंक टैंक संस्था सेंटर फॉर लैंड एंड वारफेयर स्टडीज सहयोग करेगी। इस संवाद में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विभिन्न देशों के प्रतिनिधि सक्रिय भागीदारी होगी।
कार्यक्रम में पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगे और सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे पूर्ण भाषण देंगे। मुख्य भाषण भारत के पूर्व विदेश सचिव विजय के गोखले देंगे। 'चाणक्य रक्षा संवाद' कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय रक्षा और रणनीतिक समुदाय के प्रमुख विशेषज्ञों को एकजुट करने के लिए शुरू किया गया है। यह संवाद श्रृंखला विचारोत्तेजक विषयों के इर्द-गिर्द घूमेगी, जिसमें 'इंडो-पैसिफिक फ्रंटियर' वैश्विक महत्व के रणनीतिक केंद्र बिंदु के रूप में होगा। दो दिन के इस कार्यक्रम में रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उभरती प्रौद्योगिकियों के विकसित होते प्रभाव का पता लगाया जाएगा जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि कैसे अत्याधुनिक नवाचार परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं।
भारतीय सेना के थिंक टैंक सेंटर फॉर लैंड एंड वारफेयर स्टडीज के साथ सहयोग में होने वाले इस संवाद में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित विभिन्न देशों के प्रतिनिधि सक्रिय भागीदारी होगी। इस संवाद के जरिये भारतीय सेना एक ऐसी यात्रा पर निकल पड़ी है जहां दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत के जीवंत परिदृश्य में एक सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध भविष्य बनाने के लिए रक्षा, रणनीति और सहयोगात्मक साझेदारी एकजुट होती है। यह वार्ता दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत में सुरक्षा चुनौतियों का व्यापक विश्लेषण करेगी। यह कार्यक्रम भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए क्षेत्र में सहयोगात्मक सुरक्षा उपायों के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
सेना ने एक बयान में कहा कि आने वाले वर्षों में चाणक्य रक्षा संवाद को नियमित कार्यक्रम बनाने की योजना है। संवाद के पहले संस्करण में छह सत्र आयोजित किये जाएंगे। चाणक्य रक्षा संवाद में भारत और विदेश के प्रख्यात वक्ताओं का जमावड़ा होगा। भारतीय वक्ताओं में डॉ. अरविंद विरमानी (नीति आयोग), प्रोफेसर अजय कुमार सूद (भारत सरकार के पीएसए), राजदूत वी मिस्री (डिप्टी एनएसए), राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा, लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (सेवानिवृत्त), लेफ्टिनेंट जनरल शामिल हैं। इसके अलावा डीएस हुडा (सेवानिवृत्त), लेफ्टिनेंट जनरल प्रकाश मेनन (सेवानिवृत्त), राजदूत विजय के गोखले, राजदूत अशोक के कांथा और एडमिरल सुनील लांबा (सेवानिवृत्त) के अलावा कुछ अन्य प्रतिष्ठित दिग्गज शामिल होंगे।
विदेश से कुछ पैनलिस्ट होंगे, जिसमें इंडो-पैसिफिक सुरक्षा कार्यक्रम की वरिष्ठ फेलो और निदेशक लिसा कर्टिस, डॉ. सटोरू नागाओ (जापान), डॉ. पाको मिलहिएट (फ्रांस), राजदूत शमशेर एम चौधरी (बांग्लादेश), असंगा अबेयागुनासेकेरा (श्रीलंका), चिरान जंग थापा (नेपाल), वाइस एडमिरल अमरुल्ला ऑक्टेवियन (इंडोनेशिया), डॉ. आर डी कास्त्रो (फिलीपींस) हैं। बातचीत में सुरक्षा चुनौतियों और रणनीतियों का एक स्पेक्ट्रम शामिल होगा, जिसमें दक्षिण एशिया और भारत-प्रशांत के अस्थिर क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। संवाद में रक्षा क्षेत्र के भीतर तकनीकी प्रगति में सहयोग, नियमित सैन्य अभ्यास और परमाणु हथियारों के प्रसार को नियंत्रित करने के उपायों पर बहस शामिल होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत/प्रभात