वार्षिकी : उत्तरखंड की धामी सरकार का वर्ष 2025 में खाद्य सुरक्षा पर रहा विशेष फोकस
-मुख्यमंत्री के निर्देश पर मिलावटखोरी पर हुई कार्रवाई
देहरादून, 27 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड में वर्ष 2025 के दौरान खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रदेश की धामी सरकार ने सख्त और प्रभावी कदम उठाए हैं। प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाकर आम जनता को शुद्ध और सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा प्रयास किया गया। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग उत्तराखण्ड के आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार के नेतृत्व में राज्यभर में सुरक्षित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, गुणवत्तापूर्ण औषधियों का नियंत्रण, नशा व मादक पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम, आधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना और डिजिटल सेवाओं के विस्तार जैसे क्षेत्रों में व्यापक और प्रभावी कार्य किए गए। वर्ष 2025 विभाग के लिए केवल आंकड़ों का वर्ष नहीं, बल्कि जनविश्वास, पारदर्शिता और सख्त प्रवर्तन का प्रतीक बनकर उभरा है।
खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने वर्ष 2025 में खाद्य सैंपल विश्लेषणशाला के माध्यम से राज्य के विभिन्न जनपदों में जागरूकता अभियान चलाए। इन अभियानों के अंतर्गत विभागीय टीमों ने बाजारों, होटल-ढाबों, रेस्टोरेंट्स, मिठाई की दुकानों, स्ट्रीट फूड वेंडर्स और खाद्य प्रतिष्ठानों का भ्रमण किया। इस दौरान 10,789 उपभोक्ताओं व खाद्य पदार्थों का कारोबारकर्ताओं को खाद्य सुरक्षा मानकों, स्वच्छता, सुरक्षित भंडारण और उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान 3,825 खाद्य पदार्थों के नमूने परीक्षण के लिए एकत्र किए गए, जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा का वैज्ञानिक मूल्यांकन संभव हो सका। साथ ही 109 उपभोक्ताओं व खाद्य प्रतिष्ठानों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें खाद्य सुरक्षा नियमों के व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया गया।
कुपोषण से लड़ने को तैयार की याेजनाराज्य में कुपोषण, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए विभाग ने फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा दिया। वर्ष 2025 में 11 जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर आमजन को फोर्टीफाइड आटा, तेल, दूध, नमक आदि के स्वास्थ्य लाभों की जानकारी दी गई। इन कार्यक्रमों के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि संतुलित और पोषक भोजन ही स्वस्थ समाज की नींव है। विशेषकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थों के महत्व को रेखांकित किया गया।
स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण संरक्षणखाद्य संरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए विभाग ने खाद्य तेल के पुनः उपयोग करने पर भी कार्रवाई की गई। वर्ष 2025 में इस अभियान के तहत 17 कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिनमें होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा संचालकों और खाद्य कारोबारियों को प्रयुक्त खाद्य तेल के सुरक्षित निस्तारण के बारे में प्रशिक्षित किया गया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप 28,144 किलोग्राम प्रयुक्त खाद्य तेल एकत्र कर एग्रीगेटर्स के माध्यम से बायोडीजल निर्माण के लिए उपलब्ध कराया गया। इससे एक ओर जहां पुनः उपयोग किए गए तेल से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों पर रोक लगी, वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा मिला।
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर विशेष कार्यक्रम07 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर विभाग ने राज्यभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। इस दौरान 1000 फुटपाथ विक्रेता को प्रशिक्षण देकर कर उन्हें स्वच्छता, सुरक्षित भोजन तैयार करने और परोसने के मानकों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही इट राइट मूवमेंट के अंतर्गत राज्य के 07 जिला कारागार व 07 उपकारागार को इट राइट कैंप रूप में विकसित किया गया। उत्तराखण्ड सचिवालय, गोविन्द भवन सचिवालय सहित कई प्रमुख संस्थानों को भी इट राइट कैंप के रूप में चिन्हित किया गया। यात्रियों की सुविधा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए देहरादून, हरिद्वार, रूड़की और ऋषिकेश के 04 रेलवे स्टेशनों को इट राइट स्टेशन के रूप में विकसित किया गया, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित व गुणवत्तापूर्ण भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
सख्त निगरानी और प्रभावी कानूनी कार्रवाईखाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत वर्ष 2025 में 3122 विधिक एवं सर्विलांस नमूने एकत्र कर विश्लेषण हेतु प्रयोगशालाओं में भेजे गए। इनमें से 223 नमूनों को खाद्य विश्लेषणशाला द्वारा असंगत एवं असुरक्षित घोषित किया गया। इन मामलों में विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित वाद न्यायालय में दायर किए। न्याय निर्णायक अधिकारी एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय द्वारा इन वादों का निस्तारण करते हुए कुल 03 करोड़ 31 लाख 71 हजार रुपये का अर्थदण्ड अधिरोपित किया गया। यह सख्त कार्रवाई मिलावटखोरों और नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ा संदेश है।
गुणवत्ता और मानव संसाधन में मजबूतीऔषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने वर्ष 2025 में व्यापक स्तर पर निरीक्षण और सैंपलिंग की। राज्य संवर्ग आयोग के माध्यम से 18 औषधि निरीक्षकों का चयन कर उनकी नियुक्ति एवं तैनाती की गई, जिससे औषधि नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाया गया। इसके साथ ही रिक्त खाद्य सुरक्षा अधिकारी पदों को भरने के लिए लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया है, जिसकी प्रक्रिया प्रगति पर है।
आयुक्त खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए निरंतर और प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है। वर्ष 2025 के दौरान विभाग ने खाद्य सुरक्षा, औषधियों की गुणवत्ता नियंत्रण, मिलावट एवं नशे के दुरुपयोग की रोकथाम, आधुनिक प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण तथा जन-जागरूकता अभियानों के माध्यम से उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ विनोद पोखरियाल