(वार्षिकी-2025) आयुष ने स्वास्थ्य, परंपरा व विज्ञान के ऐतिहासिक संगम के साथ दुनिया में बनाई नई पहचान
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। आयुष मंत्रालय के लिए साल 2025 एक ऐतिहासिक और परिवर्तनकारी वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा ने न केवल देश के भीतर बल्कि पूरी दुनिया में अपनी मजबूत पहचान बनाई। आयुष अब केवल वैकल्पिक चिकित्सा नहीं रहा, बल्कि सबूतों पर आधारित, लोगों के केंद्र में रखी गई और आधुनिक तकनीक से जुड़ी स्वास्थ्य प्रणाली बन चुका है।
यह सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन के अनुरूप हुआ, जिसमें स्वस्थ नागरिकों को राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत माना गया है।
साल की एक बड़ी उपलब्धि रही दिल्ली के रोहिणी में केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) की नई इमारत की आधारशिला। प्रधानमंत्री ने इस आधुनिक परिसर की नींव रखी, जिसमें 100 बिस्तरों का अस्पताल, आधुनिक प्रयोगशालाएं, पंचकर्म जैसी विशेष चिकित्सा सुविधाएं और प्रशिक्षण केंद्र होंगे।
इससे आयुर्वेद में रिसर्च, इलाज और शिक्षा को एक नई दिशा मिलेगी। यह संस्थान अब किराए की इमारत से निकलकर विश्वस्तरीय केंद्र बनेगा।
इसके साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अंतरराष्ट्रीय यूनानी सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने सभी से यूनानी चिकित्सा को आधुनिक शोध और नवाचार के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया ताकि पूरी दुनिया इसे स्वीकार करे।
इस सम्मेलन में भारत और अन्य देशों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और यूनानी चिकित्सा को आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने पर चर्चा हुई।
महाकुंभ में आयुष की बड़ी भूमिका
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में 9 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आयुष सेवाओं का लाभ लिया। यहां आयुष ओपीडी, मोबाइल मेडिकल यूनिट, योग शिविर और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए।
संतों और साधुओं के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच की गई। साथ ही 25,000 औषधीय पौधे बांटे गए ताकि लोग प्राकृतिक इलाज के प्रति जागरूक हों।
योग: भारत की विश्व को देन
वर्ष
2025 में 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ऐतिहासिक रहा। विशाखापत्तनम में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 3 लाख लोगों ने एक साथ योग किया, जो अब तक का सबसे बड़ा योग कार्यक्रम है।
योग अब 180 से अधिक देशों में मनाया जाता है और यह मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन संतुलन का वैश्विक माध्यम बन चुका है।
डब्ल्यूएचओ से ऐतिहासिक मान्यता
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2025 में आईसीडी -11 में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी के लिए अलग मॉड्यूल जोड़ा। इसका मतलब है कि अब इन चिकित्सा पद्धतियों का डेटा दुनिया भर में वैज्ञानिक तरीके से दर्ज किया जा सकेगा।
यह आयुष के लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक मान्यता मिली। देश का प्रकृति परीक्षण अभियान में 1.29 करोड़ लोगों की जांच हुई। यह अभियान व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति के अनुसार इलाज और जीवनशैली अपनाने पर आधारित था।
इस अभियान ने 5 गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और भारत को व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल में विश्व नेता के रूप में स्थापित किया।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझौते
भारत ने 2025 में इंडोनेशिया, जर्मनी, ब्राज़ील, क्यूबा सहित कई देशों के साथ पारंपरिक चिकित्सा पर समझौते किए। इन समझौतों से रिसर्च, शिक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और दवाओं की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर भारत ने दूसरे वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा सम्मेलन की मेजबानी भी की, जिसमें दुनिया भर के नेता और विशेषज्ञ शामिल हुए।
तकनीक और आयुष का मेल
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की एआई आधारित आयुष तकनीकों की सराहना की। आयुष ग्रिड, आयुर्वेद जीनोमिक्स, डिजिटल पोर्टल और रिसर्च डेटाबेस को वैश्विक उदाहरण बताया गया।
इससे यह साबित हुआ कि परंपरा और आधुनिक तकनीक साथ मिलकर बेहतर स्वास्थ्य समाधान दे सकती हैं।
होम्योपैथी और मानसिक स्वास्थ्य
वर्ष 2025 में विश्व होम्योपैथी दिवस और मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए गए। आपदा और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर विशेष जोर दिया गया।
देशभर से विशेषज्ञों ने भाग लेकर शोध और इलाज के नए रास्ते सुझाए।
आयुषनिवेशसारथी पोर्टल लॉन्च किया गया
निवेश और रोजगार के नए अवसर के लिए
आयुष मंत्रालय ने आयुष निवेश सारथी पोर्टल लॉन्च किया, जिससे आयुष सेक्टर में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्टार्टअप्स, किसानों और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे। आयुष मंत्रालय ने लोगों तक सस्ती, सुरक्षित और समग्र स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाकर भारत को वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व की ओर आगे बढ़ाया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी