हम देश के विकास के लिए वैज्ञानिक पुल बनाने पर काम कर रहे हैं : एस. सोमनाथ
- इंटरनेशनल स्पेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन
- स्पेस फॉर ऑल विषय पर हुए पैनल डिस्कशन में अहम विषयों पर हुई चर्चा
गांधीनगर, 11 जनवरी (हि.स.)। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-2024 के अंतर्गत पहली बार गुरुवार को गांधीनगर में आयोजित इंटरनेशनल स्पेस कॉन्फ्रेंस (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन) में इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रगति का उद्देश्य राष्ट्र की दीर्घकालिक समृद्धि है। हमे अंतरिक्ष की उपलब्धियों से देश की समृद्धि बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ना है। इस दिशा में प्रधानमंत्री का प्रेरक मार्गदर्शन सदैव मिलता रहता है।
इसरो चेयरमैन ने कहा कि हम मानव युक्त यान के जरिए मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने और वर्ष 2040 तक अपना स्वयं का स्पेस स्टेशन बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम प्रत्येक क्षेत्र में अंतरिक्ष विज्ञान को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हम देश के विकास के लिए वैज्ञानिक पुल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि गुजरात स्पेस सेक्टर (अंतरिक्ष क्षेत्र) के देश और दुनिया के हितधारकों के लिए मौके की जगह बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के मुख्यालय की भेंट अहमदाबाद को दी है। यह संस्थान सिंगल विंडो, स्वतंत्र और स्वायत्त नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रहा है, जिससे प्राइवेट स्पेस सेक्टर इकोनॉमी को बड़ा बल मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, साणंद में स्पेस मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना करने के लिए राज्य सरकार और इन-स्पेस के बीच एमओयू हुआ है। बोपल में इन-स्पेस के मुख्यालय में टेक्निकल सपोर्ट एंड इंक्यूबेशन सेंटर भी कार्यरत किया जाएगा। इन-स्पेस संस्थान स्पेस टेक्नोलॉजी के अनुरुप विभिन्न मैन्युफैक्चरिंग उद्योग शुरू करने के लिए प्रोत्साहन और टेक्निकल गाइडेंस प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को ‘ह्यूमन इन स्पेस’ की रेस नहीं, बल्कि ‘स्पेस फॉर ह्यूमन काइंड’ की नीति दी है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत स्पेस सेक्टर में अपना अग्रिम स्थान हासिल करने के लिए आगे बढ़ रहा है। भारत के स्पेस सेक्टर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा योगदान है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इसरो के चंद्रयान और आदित्य एल-1 मिशन की सफलता तथा गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे आगामी मिशनों का भी उल्लेख किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसरो के संचालन के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष से संबंधित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अब तक सप्लाई चेन पार्टनर के रूप में काम करती थे। स्पेस सेक्टर के विकास को देखते हुए यह आवश्यक है कि इस क्षेत्र में अब प्राइवेट प्लेयर्स की भी भागीदारी बढ़े और डेडिकेटेड उद्योग एवं स्टार्टअप का विकास हो। उन्होंने आगे कहा कि 2020 में प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले केंद्रीय कैबिनेट ने भारत के प्राइवेट सेक्टर प्लेयर्स के लिए स्पेस सेक्टर को खोलने का ऐतिहासिक निर्णय किया है, जिसके परिणामस्वरूप भारत अब दुनिया के अन्य देशों की कतार में खड़ा होकर अंतरिक्ष की ओर देख रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पेस सर्वाधिक गूढ़, गहन और गतिशील विज्ञान है। स्पेस सेक्टर में हमेशा कुछ नया खोजने की और सतत नए अनुसंधान करने की सबसे अधिक संभावना है। उन्होंने सेमिनार में उपस्थित उद्योगकारों, निवेशकों और अंतरिक्ष विज्ञान के विशेषज्ञों को गुजरात में स्पेस इकोसिस्टम का विकास करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गुजरात अमृत काल में फ्यूचरिस्टिक स्पेस सेक्टर में योगदान देने को तैयार होगा।
यूएई स्पेस एजेंसी के निदेशक सलेम अल कुबैसी ने कहा कि केवल छह दशकों में ही भारत स्पेस टेक्नोलॉजी में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने में सफल हुआ है। उन्होंने सहयोग एवं साझेदारी की शक्ति पर विशेष जोर दिया। इस अवसर पर इन-स्पेस के चेयरमैन डॉ. पवन गोयनका ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र अब सभी के लिए गौरव और अपेक्षाएं ला रहा है। उन्होंने कहा कि स्पेस सेक्टर में निवेश बढ़ रहा है और अर्थव्यवस्था पर अंतरिक्ष का प्रभाव पड़ सकता है। स्वागत भाषण में प्रधान सचिव मोना खंधार ने कहा कि अंतरिक्ष की सूचना हासिल करने के लिए मानव सदियों से उसका अध्ययन कर रहा है। बहुत सी बातें तकनीकी प्रगति और अंतरिक्ष अनुसंधान के कारण वास्तविकता में बदल रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण यह विषय वैश्विक निवेशकों के लिए समिट का एक हिस्सा बना है।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/प्रभात