जल संचय के लिए जन भागीदारी सुनिश्चित होः सीआर पाटिल

 




उदयपुर, 19 फ़रवरी (हि.स.)। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल ने जल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हम जितना पानी खर्च करते हैं, उसके अनुपात में संचय नहीं कर पाते, यह चिंता का विषय है।

वे बुधवार को जल संरक्षण और जल प्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी पहल 'कर्म भूमि से मातृ भूमि' जल संचय अभियान के तहत शौर्यगढ़ रिसोर्ट के सभागार में आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

संवाद कार्यक्रम में मंत्री सीआर पाटिल ने राजस्थान में बढ़ती जल समस्या पर गहरी चिंता व्यक्त की और जल संचयन को लेकर जन भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'हर घर नल योजना' के माध्यम से जल संकट को कम करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन इसमें जनसहयोग आवश्यक है।

मंत्री पाटिल ने कहा कि उदयपुर जैसे शहर में जल संरक्षण पर सम्मेलन होना ही इस विषय की गंभीरता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि एक समय था जब 100 फीट पर पानी उपलब्ध होता था, लेकिन आज यह स्तर 700 फीट तक नीचे चला गया है। इसके बावजूद भारत में पर्याप्त वर्षा होने के बावजूद जल संकट की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि हम जितना जल उपयोग करते हैं, उतना संरक्षित नहीं कर पाते।

केन्द्रीय मंत्री पाटिल ने जल संचय के लिए वाटर हार्वेस्टिंग को सबसे प्रभावी उपाय बताया। उन्होंने कहा कि हम अपने घरों, बंगलों और खेतों में छतों से वर्षा जल संकलित कर सकते हैं। अगर हम इस अभियान को सही दिशा में ले जाएं, तो जल स्तर फिर से 100 फीट तक लाया जा सकता है। उन्होंने किसानों से भी खेतों में जल संचय करने और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने की अपील की।

कार्यक्रम के संयोजक समाजसेवी राजकुमार फत्तावत ने बताया कि कार्यक्रम में सूरत महानगर पालिका के नगर सेवक दिनेश राजपुरोहित, सूरत शिक्षा परिषद के सदस्य अनुराग कोठारी और कैलाश हाकिम ने भी जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। संवाद कार्यक्रम में उद्योगपति मांगीलाल लूणावत, शब्बीर के. मुस्तफा, बीएच बापना, शांतिलाल मारू, महेंद्र टाया, अंशू कोठारी, सीए निर्मल सिंघवी, डॉ. पीसी जैन, सीए महावीर चपलोत सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी, चेंबर पदाधिकारी, व्यवसायी और प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता