भारत को कानून के शासन पर किसी देश से सबक लेने की जरूरत नहीं : उपराष्ट्रपति

 


नई दिल्ली, 29 मार्च (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि भारत मजबूत न्यायिक प्रणाली वाला एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है जिससे कोई भी व्यक्ति या कोई समूह समझौता नहीं कर सकता है। भारतीय लोकतंत्र को अद्वितीय बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत को कानून के शासन पर किसी देश से सबक लेने की जरूरत नहीं है।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के 70वें स्थापना दिवस समारोह को नई दिल्ली में संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि भारत में आज कानून के समक्ष समानता एक नया मानदंड है और कानून उन लोगों को जवाबदेह ठहरा रहा है जो खुद को कानून से परे मानते थे। धनखड़ ने कहा, “लेकिन हम क्या देखते हैं? जैसे ही कानून अपना काम करता है, वे सड़कों पर उतर आते हैं, ऊंची आवाज में बहस करते हैं और मानवाधिकारों के जरिए सबसे खराब प्रकृति के दोषी को छिपाते हैं। यह हमारी नाक के नीचे हो रहा है।”

भारतीय न्यायिक प्रणाली को मजबूत, जन-समर्थक और स्वतंत्र बताते हुए उन्होंने सवाल किया, “जब कानून लागू हो जाता है तो किसी व्यक्ति या संस्था या संगठन के लिए सड़कों पर उतरने का क्या औचित्य है?”

इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श का आह्वान करते हुए धनखड़ ने सवाल किया, “क्या लोग शिकायत मोड में काम कर सकते हैं, जो कानून के शासन से दूर जाने की एक खतरनाक प्रवृत्ति है? कानून के उल्लंघन में शामिल कोई व्यक्ति पीड़ित कार्ड कैसे खेल सकता है?”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचार अब अवसर, रोजगार या अनुबंध का मार्ग नहीं है। यह जेल जाने का रास्ता है। सिस्टम इसे सुरक्षित कर रहा है। उन्होंने इस तर्क पर भी सवाल उठाया कि भ्रष्टाचारियों से इसलिए नहीं निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह त्योहारी सीजन है या यह खेती का मौसम है। उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि जो लोग दोषी हैं उन्हें बचाने का कोई मौसम कैसे हो सकता है। उन्होंने कानून के शासन का रास्ता अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि यही एकमात्र रास्ता है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/पवन