विभाजनकारी और राष्ट्रविरोधी ताकतों की गतिविधियों से सावधान रहें देशवासी : डॉ.कृष्ण गोपाल

 


लखनऊ, 24 अक्टूबर(हि.स.)। राजधानी लखनऊ में विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) की ओर से विजयादशमी उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर आरएसएस के सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने देशवासियों को विभाजनकारी और राष्ट्रविरोधी ताकतों की गतिविधियों से सावधान रहने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग समाज में शिक्षकों, वकीलों, डॉक्टरों और किसानों के भेष में छुपे हुए हैं और उन राष्ट्र-विरोधी तत्वों को मदद करते हैं।

उन्होंने कहा कि विजयादशमी का पर्व शौर्य, पराक्रम, पौरुष के जागरण का पर्व है, साथ ही यह पर्व संघ के लिए और महत्व का हो जाता है क्योंकि आज ही के दिन 1925 को आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। वह मंगलवार को गोमती नगर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में उक्त बातें कही।

उन्होंने एकजुट, समरूप हिंदू समाज की अवधारणा पर जोर देने के लिए स्वामी विवेकानंद और सिख गुरु गोविंद सिंह का आह्वान किया और कहा कि संघ अपनी दैनिक शाखाओं में इस संस्कार को विकसित करता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के कारण दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। संघ की स्थापना हिंदू समाज की कायरता और कमजोरी को दूर करने और जाति, पंथ, भाषा और प्रांतों और संप्रदायों के मतभेदों को भुलाकर इसे जीवंत, शक्तिशाली और मजबूत बनाने के लिए की गई थी।

वहीं पूरब भाग के प्राथमिक शिक्षा वर्ग में अंबेडकर और संत रविदास नगर के कार्यक्रम में अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख रामलाल ने विजयादशमी के महत्व का परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। कहा कि संघ की स्थापना असंगठित हिंदू समाज को संगठित करने के लिए की गई थी ताकि देश के सामने आने वाली सभी बुराइयों और चुनौतियों से निपटा जा सके। असंगठित और कमजोर हिंदू समाज के कारण देश को इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और इसके कारण डॉ. केशव बलिराम हेडगेवियर को 98 साल पहले इसी विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत करनी पड़ी।

उन्होंने कहा, 'एक हिंदू हर किसी के हित के बारे में सोचता है। हम कभी यह नहीं कहते कि अगर आप हमारी बात नहीं सुनेंगे तो आप नरक में जाएंगे। हम 'सर्वे भवन्तु सुखिन:' (सभी को सुखी रहें) का पालन करते हैं'।

सरदार पटेल नगर के कार्यक्रम में अवध प्रान्त के प्रान्त प्रचारक कौशल किशोर ने अपने संबोधन में कहा कि छह उत्सव में से एक प्रमुख उत्सव विजयदशमी में हम सब उपस्थित हुए हैं। माँ दुर्गा ने राक्षसों का वध किया था। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। ईसा से 700 वर्ष पूर्व तक्षशिला व नालन्दा जैसे 64 से ज्यादा विश्वविद्यालय हुआ करते थे। जिसमें ज्ञान विज्ञान आदि की शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने सभी स्वयंसेवकों से संघ द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों के कार्य को और अधिक मजबूत करने तथा शाखाओं का विस्तार व समाज में एकत्व स्थापित किए जाने का आह्वान किया। लखनऊ पूरब भाग द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रमों में हजारों गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश