हिन्दी ने हमेशा देश को जोड़ने का काम किया : योगेश सिंह
नई दिल्ली, 05 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने मंगलवार को “विद्रोह के कवि: निराला” पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर कहा कि हिन्दी ने कभी देश को तोड़ने का काम नहीं किया, इसने तो हमेशा जोड़ने का काम किया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के काउंसिल हाल में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. सिंह ने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के बेबाक लहजे और निडरता का स्मरण करते हुए कहा कि 21वीं सदी में भी ऐसे ही सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की जरूरत है। कुलपति ने निराला के हिन्दी प्रेम को लेकर पंडित नेहरू और महात्मा गांधी से टकराव के संदर्भ में कहा कि हिन्दी भारत की भाषा है और यह जन-जन की भाषा है। जो लोगों की भाषा होती है उसे किसी की कृपा की जरूरत नहीं होती। उन्होंने निराला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह एक दृष्टि से विद्रोह के कवि हो सकते हैं, लेकिन मेरी नजर में निराला कर्म, अनुशासन, सहनशीलता और न्याय के कवि हैं।
कुलपति ने निराला की “भिक्षुक” कविता की पंक्तियों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि मुझे तो उनमें सबसे ज्यादा करुणा नजर आती है। उन्होंने निराला की “भिक्षुक” कविता के माध्यम से “चाट रहे झूठी पत्तल....” वाली पंक्तियां प्रस्तुत करते हुए कहा कि गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाना देकर ऐसा काम किया है कि देश में कोई भूखा न सोए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपना अगला काम भारत से गरीबी को दूर करने का करेगी ताकि 21वीं सदी में कोई निराला भूख पर ऐसी कविता लिखने को मजबूर न हो।
इस अवसर पर पुस्तक के लेखक डॉ. अंजन कुमार, दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, कल्चर काउंसिल के चेयर पर्सन अनूप लाठर, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो और प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/पवन