मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता श्रीनिवासन का निधन
मुंबई, 20 दिसंबर (हि.स.)। मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, पटकथा लेखक और निर्देशक श्रीनिवासन का 69 वर्ष की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। अपने लंबे और शानदार करियर में उन्होंने करीब 225 फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन उन्हें सबसे खास पहचान उनकी सामाजिक और राजनीतिक व्यंग्य से भरपूर लेखनी के लिए मिली। उनकी कहानियां और संवाद आम आदमी की जिंदगी से जुड़े होते थे, जिसने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। खासतौर पर सुपरस्टार मोहनलाल के साथ उनकी जोड़ी ने मलयालम सिनेमा को कई यादगार फिल्में दीं।
बताया जा रहा है कि श्रीनिवासन पिछले कई वर्षों से अस्वस्थ चल रहे थे। 20 दिसंबर 2025 को केरल के एर्नाकुलम जिले स्थित त्रिपुनिथुरा तालुक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह अपने पीछे पत्नी विमला और दो बेटे अभिनेता-निर्देशक विनीत श्रीनिवासन और ध्यान श्रीनिवासन को छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर से फैंस और फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है और हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
मलयालम सिनेमा में श्रीनिवासन को सबसे प्रभावशाली और सफल लेखक-अभिनेताओं में गिना जाता है। एम. टी. वासुदेवन नायर, के. जी. जॉर्ज और पी. पद्मराजन जैसे दिग्गजों के बीच भी उनकी अलग पहचान बनी रही। उनकी फिल्मों ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता, बल्कि मोहनलाल, प्रियदर्शन और सत्यन अंथिकाड जैसे बड़े कलाकारों और फिल्मकारों के करियर को भी नई दिशा दी। उनकी फिल्में आज भी मलयाली दर्शकों के बीच उतनी ही लोकप्रिय हैं।
उनके निधन पर अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने भी भावुक श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, श्रीनिवासन दुनिया के महानतम लेखक, निर्देशक और अभिनेताओं में से एक थे। उन्होंने हमें हंसी भी दी और सोचने पर मजबूर भी किया। उनकी आत्मा को शांति मिले। वहीं, केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इसे मलयालम सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
श्रीनिवासन और मोहनलाल की जोड़ी को मलयालम सिनेमा की सबसे यादगार जोड़ियों में गिना जाता है। 'नाडोडिक्कट्टु', 'वरवेल्पु', 'चित्रम' और 'पवित्रम' जैसी फिल्मों में दोनों की केमिस्ट्री को दर्शकों ने खूब सराहा। श्रीनिवासन ने 1976 में फिल्म 'मणिमुझक्कम' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। सामाजिक व्यंग्य और आम जिंदगी से जुड़े किरदारों के जरिए उन्होंने जो पहचान बनाई, वह हमेशा याद रखी जाएगी। अपने योगदान के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे