वार्षिकी : महाशिवरात्रि पर 46 घंटे निर्बाध दर्शन, नागा संतों की पेशवाई बनी आकर्षण

 


— साल 2025 के शुरूआत से दिसंबर माह के अंत तक लगभग 18 करोड़ श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ धाम में टेका मत्था— प्रधानमंत्री मोदी ने काशी से भारत और मॉरिशस के बीच द्विपक्षीय वार्ता कर दिया वैश्विक संदेश

वाराणसी, 30दिसंबर(हि.स.)। विदा होते वर्ष 2025 ने उत्तर प्रदेश की धार्मिक राजधानी काशी (वाराणसी) को धार्मिक पर्यटन, विकास और वैश्विक पहचान के नए शिखर पर पहुंचा दिया। प्रयागराज महाकुंभ से लेकर काशी विश्वनाथ धाम तक श्रद्धालुओं का अभूतपूर्व सैलाब पूरे वर्ष बना रहा, जिसने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए।

खट्टी मीठी यादों के बीच श्री काशी विश्वनाथ की नगरी में साल के पहले माह जनवरी की 13 तारीख से ही प्रयागराज महाकुंभ से लाखों श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह शुरू हो गया। महाकुंभ के प्रमुख स्नान पर्वो के बाद वाराणसी में भीड़ के चलते शहर की रफ्तार थम गईं। प्रतिदिन 10 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी पहुंचते रहे। महाकुंभ की अवधि ड़ेढ़ माह में ही श्री काशी विश्वनाथ दरबार में दो करोड़ 87 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया था। जिला प्रशासन ने महाकुंभ के अवधि में दस करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगा उसके हिसाब से भीड़ प्रबंधन की तैयारी के साथ रेलवे स्टेशन और शहर के बाहर होल्डिंग एरिया बनाई थी। श्रद्धालुओं की भीड़ से गंगा घाटों से लेकर बाबा विश्वनाथ के चौखट तक अटूट कतार लगी रही। वाराणसी में लगातार श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ के बावजूद जिला प्रशासन और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन का भीड़ प्रबंधन देश के दूसरे शहरों के लिए नजीर बन गया। इसके चलते अध्यात्म, संस्कृति, शिवालयों, गंगा घाटों के शहर बनारस की एक नई छवि देश और विदेश में उभर कर सामने आईं।

-महाशिवरात्रि पर 46 घंटे निर्बाध दर्शन, नागा संतों की पेशवाई बनी आकर्षण

महाशिवरात्रि पर्व के पहले काशी नगरी में नागा संतों की पेशवाई इसके बाद महापर्व पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में नागा संतों का शाही दर्शन और चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी शहर देश—दुनिया में चर्चा का केन्द्र रहा। महापर्व के आधी रात से ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाहर 3-5 किलोमीटर लंबी कतारें लगी हुई थीं। बाबा का दरबार 46 घंटे के निर्बाध दर्शन के लिए खुला रहा। जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन ने काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार पर नागा संतों पर ढ़ोल नगाड़े की थाप पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं और 'हर—हर महादेव' के जयकारे से उनकी अगवानी की थी। एक अनुमान के अनुसार वाराणसी में वर्ष 2025 के अंत तक लगभग 18 करोड़ श्रद्धालु आए। इसमें जनवरी से सितंबर माह तक 14.69 करोड़ आए।

-महाकुंभ के बाद काशी में विकास कार्यों ने भी नई रफ्तार पकड़ी महाकुंभ के समापन के बाद जनपद में विकास कार्यो को भी नई उंचाई मिली। 11 अप्रैल को अपने पचासवें दौरे पर काशी आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी सहित पूर्वांचल के जिलों को 3884 करोड़ विकास की 44 योजनाओं की सौगात दी। मिर्जामुराद मेहंदीगंज में आयोजित जनसभा से प्रधानमंत्री ने 1629 करोड़ की 19 योजनाओं का उद्घाटन और 2255 करोड़ की 25 योजनाओं का शिलान्यास किया। इसके बाद उन्होंने दो अगस्त को वाराणसी दौरे में लगभग 2200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। यहीं से प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान योजना की 20वीं किस्त के रूप में देशभर के 9.7 करोड़ किसानों को 20,500 करोड़ रुपये की राशि उनके खातों में सीधे ट्रांसफर किया। इसके बाद आठ नवम्बर को उन्होंने बनारस रेलवे स्टेशन से चार वंदे भारत ट्रेनों की सौगात देश को दी। इसमें बनारस-खजुराहो वंदे भारत के अलावा, उन्होंने फिरोजपुर-दिल्ली वंदे भारत, लखनऊ-सहारनपुर वंदे भारत और एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत को भी हरी झंडी दिखाई। इन चार नई ट्रेनों के साथ, देश में चालू वंदे भारत ट्रेनों की कुल संख्या अब 160 से अधिक हो गई है।

गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 11 सालों में 60 हजार करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स की सौगात दे चुके है। इनमें सबसे पहले विश्वनाथ कॉरिडोर का तोहफा भी शामिल है। प्रधानमंत्री ने 11 सालों में काशी के प्राचीन वैभव को बरकरार रख विकास कार्यो से इसकी तस्वीर ही बदल दी है। इसकी शुरूआत हुई साल 2014 से जब उन्होंने काशी के अस्सी घाट से सफाई अभियान शुरू किया था। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण हो, या इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, इंटरनेशनल इनडोर स्टेडियम, दुनिया का तीसरा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बनाया जा रहा रोप-वे, रेलवे की व्यवस्थाएं, ट्रेनों का आवगमन या सड़कों का जाल और फ्लाईओवर्स का निर्माण हो, काशी में चहुंओर विकास की बयार बह रही है। इसमें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाए भी शामिल है।

—अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक संदेश भी दिया इस वर्ष के 11 सितंबर को धर्म नगरी काशी में भारत और मॉरिशस के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। इसमें मॉरिशस के प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वार्ता में आर्थिक नीतियों, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान, ऊर्जा सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।

—वर्ष 2025 को यादगार बना गया काशी तमिल संगमम का चौथा संस्करण

वर्ष 2025 के दिसंबर माह में आयोजित काशी तमिल संगमम का चौथा संस्करण एक बार फिर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बना। 1400 से ज्यादा तमिल प्रतिनिधियों ने काशी में दर्शन पूजन और संस्कृति से साक्षात्कार किया। तमिलनाडु से आए श्रद्धालुओं और विद्वानों ने काशी के मंदिरों, घाटों और परंपराओं से आत्मिक जुड़ाव महसूस किया। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की धार्मिक परंपराओं को जोड़ने और एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने का महत्वपूर्ण माध्यम बना।

—बीएचयू में 49 महीने बाद कार्यकारिणी का गठन

वर्ष 2025 के 24 जुलाई को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में 49 महीने बाद बीएचयू कार्यकारिणी का गठन हुआ। यह विश्वविद्यालय ​के लिए राहत भरा कदम रहा।

—19 साल के महेश ने काशी में बनाया कीर्तिमान,प्रधानमंत्री मोदी ने की तारीफ

धर्म नगरी काशी में महाराष्ट्र के 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद के लगभग 2000 मंत्रों का 'दंडक्रम पारायण' लगभग 50 दिनों में बिना किसी रुकावट के पूरा करके एक अद्भुत उपलब्धि हासिल की। दंडक्रम पारायण को वैदिक परंपरा में सबसे चुनौतीपूर्ण और दुर्लभ पाठों में से एक माना जाता है, जो अपनी जटिल लय, सटीकता और अनुशासन के लिए जाना जाता है। इस कार्यक्रम के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महेश रेखे की सराहना की। वहीं,प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें नमोघाट पर काशी तमिल संगमम के उद्घाटन समारोह में सम्मानित किया। इसके साथ ही शृंगेरी के शंकराचार्य ने भी स्वर्ण कंगन और एक लाख 1 हजार 116 रुपये की दक्षिणा दी थी। वर्ष 2025 में वाराणसी को प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझना पड़ा। गंगा और वरूणा नदी में आई बाढ़ ने महीनों शहर और ग्रामीण अंचल के बड़े हिस्से को टापू बना दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी