काशी तमिल संगमम: काशी से 300 छात्रों का दल तमिलनाडु रवाना
- संगमम 4.0 के द्वितीय चरण की शुरुआत, बीएचयू कुलपति ने हरी झंडी दिखाई
वाराणसी, 17 दिसंबर (हि.स.)। काशी और तमिलनाडु के मध्य सांस्कृतिक, भाषायी एवं शैक्षणिक सेतु को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में काशी तमिल संगमम 4.0 के द्वितीय चरण की शुरूआत बुधवार को हो गई। तमिलनाडु में आयोजित संगमम में भाग लेन के लिए वाराणसी से 300 छात्रों का एक विशेष दल वहां के लिए रवाना हुआ।
इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने छात्रों के इस दल को हरी झंडी दिखाकर शुभकामनाओं सहित विदा किया। छात्रों के प्रस्थान से पूर्व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित पं. ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में एक विस्तृत अभिविन्यास (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में वाराणसी के विभिन्न विश्वविद्यालयों से चयनित 300 छात्र एवं 5 शिक्षक उपस्थित रहे, जो काशी तमिल संगमम् 4.0 के द्वितीय चरण के अंतर्गत तमिलनाडु के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण करेंगे। अभिविन्यास कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को यात्रा के शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं बौद्धिक लक्ष्यों से परिचित कराना तथा उत्तर और दक्षिण भारत की साझा सभ्यतागत विरासत के प्रति उनकी समझ को और गहरा करना रहा।
कार्यक्रम के दौरान नोडल ऑफिसर प्रो. अंचल श्रीवास्तव ने सभी छात्रों को संबोधित करते हुए काशी तमिल संगमम् की परिकल्पना, उद्देश्य और महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों एवं शिक्षकों का आपसी परिचय भी कराया और इस सांस्कृतिक यात्रा को एक जीवंत शैक्षणिक अनुभव बताते हुए सभी प्रतिभागियों से अनुशासन, जिज्ञासा और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के साथ अवसर का अधिकतम लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल भ्रमण नहीं, बल्कि भारत की एकता, विविधता और सांस्कृतिक निरंतरता को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने का अवसर है।
इस अवसर पर प्रो. आर. के. मिश्रा (आईआईटी बीएचयू) एवं डॉ. टी. जगदीशन भी उपस्थित रहे और उन्होंने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए इस पहल को राष्ट्रीय एकात्मता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। वक्ताओं ने कहा कि काशी और तमिलनाडु के बीच प्राचीन काल से चले आ रहे ज्ञान, भक्ति और संस्कृति के संबंध आज के युवाओं के माध्यम से और अधिक सशक्त रूप में आगे बढ़ेंगे।
उल्लेखनीय है कि काशी तमिल संगमम 4.0 की इस वर्ष की थीम “काशी करकलाम (तमिल सीखें)” रखी गई है, जिसके अंतर्गत छात्रों को तमिल भाषा, साहित्य, संस्कृति और शैक्षणिक परंपराओं से प्रत्यक्ष रूप से परिचित कराया जाएगा। इस दल में सम्मिलित छात्र वाराणसी के विभिन्न विश्वविद्यालयों से हैं, जो तमिलनाडु के अनेक विश्वविद्यालयों का भ्रमण कर वहां की अकादमिक गतिविधियों, सांस्कृतिक परंपराओं और सामाजिक जीवन को नजदीक से समझेंगे। यह काशी तमिल संगमम् के इतिहास में एक विशेष अवसर है, क्योंकि पहली बार काशी से छात्रों का संगठित समूह तमिलनाडु की यात्रा पर जा रहा है। यह पहल युवा पीढ़ी के माध्यम से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक संवाद को नई ऊर्जा प्रदान करेगी। काशी तमिल संगमम् 4.0 का समापन रामेश्वरम् में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तावित है, जो इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक यात्रा को एक राष्ट्रीय महत्व प्रदान करेगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी