कल्पवास मेला के खालसा में दिख रहा है भारत-नेपाल का मधुर संबंध
बेगूसराय, 05 नवम्बर (हि.स.)। मित्र देश रहने के कारण भारत और नेपाल के बीच सदियों से बेटी-रोटी का रिश्ता है। पुराने समय से चला आ रहा यह प्यार आज भी कायम है। दोनों देशवासियों के बीच कैसा प्यार है, यह परिलक्षित हो रहा बेगूसराय जिले में सिमरिया गंगा तट पर लगने वाले राजकीय कल्पवास मेला में।
एशिया प्रसिद्ध राजकीय कल्पवास सह सिमरिया कुंभ मेला ना केवल धार्मिक और आस्था का केंद्र है। बल्कि यहां रह रहे कल्पवासी मेला में दोनों देशों के बीच आपसी संबंध को भी मधुर बना रहे हैं। खालसा में भारत और नेपाल देश के श्रद्धालु एक साथ रहकर भगवान का भजन-कीर्तन और प्रवचन करने एवं सुनने में लीन हैं।
एक ही साथ भंडारा का प्रसाद बनाते हैं, खाते हैं और सो जाते हैं, इससे दोनों देश के प्रति लोगों में प्यार देखते ही बनती है। विगत 18 अक्टूबर से शुरू होकर 27 नवम्बर तक चलने वाले कल्पवास मेला में पड़ोसी देश नेपाल दो खालसा जबकि भारत-नेपाल संयुक्त तीन खालसा शिविर में करीब चार सौ लोग कल्पवास कर रहे हैं।
इस कार्तिक कल्पवास मेला में नेपाली खालसा सिरहा, गणपति नाथ खालसा नेपाल, डाकनेश्वरी नगर पालिका खालसा नेपाल एवं श्री श्री 108 श्री साकेत वासी बाबाजी श्री रामबालक दास नेपाल खालसा समेत नेपाल से कई अन्य श्रद्धालुओं विभिन्न खालसा शिविर में गंगा सेवन और संत सेवन कर रहे हैं।
डाकनेश्वरी नगर पालिका खालसा नेपाल के महंत परशुराम दास एवं इसी खालसा में कल्पवास कर रहे जय कृष्ण प्रसाद साह ने कहा कि हम पिछले 19 वर्षों से सिमरिया कल्पवास मेले में लगातार आ रहे हैं। इस बार बिहार सरकार के द्वारा मेले में बेहतर व्यवस्था किया गया है। उम्मीद है अगले वर्ष इससे भी बेहतर सुविधाएं साधु-संतों को मिलेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/गोविन्द