खाद्य-पदार्थों की हानि और बर्बादी को कम करना हमारी जिम्मेदारी : करंदलाजे
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (हि.स.)। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि दक्षिण एशिया खाद्यान्न का एक प्रमुख उत्पादक होने के साथ-साथ उपभोक्ता भी है। ऐसे में खाद्य-पदार्थों की हानि और बर्बादी को कम करना भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी के साथ-साथ आर्थिक जरूरत है।
करंदलाजे ने सोमवार को नई दिल्ली में 'साउथ एशियन रीजन में फूड लॉस एंड वेस्ट प्रीवेंशन' विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि खाद्य-पदार्थों की हानि और बर्बादी के मुख्य कारणों की पहचान होनी चाहिए और इसको रोकने के लिए साझा प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए सभी हितधारकों के बीच शिक्षा और जागरूकता फैलाने, कुशल फसल एवं भंडारण, स्मार्ट वितरण, उद्योग की भागीदारी, डोनेशन और फूड बैंक, खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में नवाचार और उपभोक्ता जिम्मेदारी आदि को सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में लगभग 03 बिलियन टन खाद्य पदार्थों की बर्बादी होती है। ऐसे में विकसित और विकासशील देशों की उपयुक्त प्रौद्योगिकियों और कार्यप्रणालियों को आगे लाया जाना चाहिए ताकि समाज स्वीकार्य तरीकों का उपयोग करके दुनिया भर में हो रही खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी को कम किया जा सके।
कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, फ्रांस की क्लेमेंटाइन ओ'कॉनर ने खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी के मैट्रिक्स व कृषि एवं पर्यावरण की स्थिरता पर इसके प्रभाव के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि महामारी, जलवायु परिवर्तन और युद्धों का भी खाद्य-पदार्थों की हानि और बर्बादी पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने दुनिया भर में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को सीखने और साझा करने और उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए नीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि 2030 तक खाद्य पदार्थों की हानि को कम करके आधा करने के लक्ष्य 12.3 के सतत विकास को हासिल करने के लिए केवल कुछ ही साल बचे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/आशुतोष/दधिबल